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नवमी पर सिद्धिदात्री की साधना

ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं, पूर्णात पूर्णमुदच्युते।

पूर्णस्य पूर्णमादायपूर्णमेवावसिष्यते।।

डॉ.दिलीप अग्निहोत्री

नवमी को अनुष्ठान की पूर्णता होती है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना होती है-सिद्धगन्‍धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

नवमी पर सिद्धिदात्री की साधना

इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव निधियों की प्राप्ति होती हैं।

भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही आठ सिद्धियों को प्राप्त किया था। इस कारण भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला। क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बना।

मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हैं। इनका वाहन सिंह है।

हिमाचल का नंदा पर्वत इनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई। ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हैं। इनका वाहन सिंह है। देवी के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र है। ऊपर वाले हाथ में गदा है। बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख है। ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है-

ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं, पूर्णात पूर्णमुदच्युते।

पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्णमेवावसिष्यते।।

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