दुश्मन की पोजिशन पर रॉकेट और बमों की सटीक मार से कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना को तबाह करने वाले लड़ाकू विमान मिग-27 आज देश की वायुसेना को अलविदा कह दिया। करीब 34 वर्ष वायुसेना का हिस्सा रहने के बाद ये शुक्रवार को आखिरी उड़ान भरा। इस मौके पर जोधपुर एयरबेस पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां इन्हें पूरे सम्मान कि साथ विदाई दी गई। इस बारे में रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि विदाई समारोह में स्वाड्रन संख्या 29 के आखिरी सात मिग-27 अपनी आखिरी उड़ान भरेंगे। वहीं 31 मार्च 2020 को इनकी आधिकारिक ‘नंबर प्लेटिंग’ (सैन्य सेवा से बाहर करने की प्रक्रिया) होगी। मिग23, मिग23एमएफ और खालिस मिग-27 पहले ही सेवानिवृत्त किए जा चुके हैं।
सबसे आखिर में विदा हो रहे मौजूदा ये मिग-27 अपग्रेडेड श्रेणी के हैं। इनका दस्ता 2006 में वायुसेना में शामिल किया गया था। मिग-27 का उपयोग 2001-02 में ऑपरेशन पराक्रम में भी हुआ था जो 1971 के बाद भारतीय सेना की सबसे बड़ी लामबंदी मानी जाती है। वायुसेना ने ट्वीट कर बताया कि मिग-27 को वायुसेना में 1985 में शामिल किया गया था।
कारगिल युद्ध में योगदान के लिए इसे बहादुर नाम दिया गया। वहीं जोधपुर एयरबेस पर आयोजन में एयर मार्शल एसके घोटिया विशिष्ट सेवा मेडल, एयरफोर्स ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ दक्षिण-पश्चिम एयर कमांड सहित कई मौजूदा व पूर्व वायुसेना अधिकारी शामिल होंगे।