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उच्च शिक्षण संस्थानों के सामाजिक सरोकार

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

उच्च शिक्षा विद्यार्थी के कैरियर के निर्णायक पड़ाव होता है। लेकिन किताबी ज्ञान तक सीमित रहना ही जीवन का ध्येय नहीं हो सकता। समाज सेवा के भाव बोध से ही शिक्षा सार्थक होती है। कैरियर या जीवकोपार्जन के माध्यम अलग हो सकते है। इन सबका स्वरूप भी अलग होता है। लेकिन सामाजिक सरोकार इन सभी के साथ समान रूप से चलना चाहिए। अपने कार्यों का समायोजन समाज हित की भावना से ही होना चाहिए।

शिक्षक व विद्यार्थी दोनों को इसके प्रति सजग रहना चाहिए। नई शिक्षा नीति ने इसका अवसर भी प्रदान किया है। प्रत्येक विद्यार्थी में कोई न कोई अंतर्मुखी प्रतिभा होती है। उसको जागृत करने का कार्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से हो सकता है। यहीं से समाज सेवा की भावना का भी जागरण होना चाहिए। राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल शैक्षणिक संस्थानों से संबंधित कार्यक्रमों में इसका सन्देश देती है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय छात्रों के सर्वांगिण विकास अन्य गतिविधियों का भी संचालन करें।

योग व पर्यावरण

योग व पर्यावरण संरक्षण मानवता के कल्याण हेतु है। यह विचार दुनिया को भारत ने ही दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से इक्कीस जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण को अपरिहार्य माना गया। उत्तर प्रदेश में विगत चार वर्षों से पौधरोपण का अभूतपूर्व अभियान चलाया जा रहा है। जून में इस अभियान के अगले चरण का शुभारंभ होगा। आनन्दी बेन पटेल ने उच्च शिक्षण संस्थानों से इक्कीस जून को योग दिवस के आयोजन का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाये जाने वाले वृहद वृक्षारोपण महाभियान में तैयारी कर विश्वविद्यालय उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों का सहयोग लेकर एक एक लाख पीपल के पौधों का वृक्षारोपण करें।

महिला सशक्तिकरण

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों के सहायतार्थ शिक्षण,खेलकूद एवं पोषण सामग्री उपलब्ध करायें,क्षय रोग से पीड़ित बच्चों को गोद लें,बीच में शिक्षा छोड़ने वाले बच्चों को विद्यालय जाने हेतु प्रेरित करें। विश्वविद्यालयों में संचालित महिला उत्थान केन्द्र मात्र औपचारिक केन्द्र बनकर न रहें। विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र के झोपड़ पट्टी,गाॅव या नगरीय क्षेत्र में निवास करने वाली महिलाओं के महिला एवं बालिका समूह बनाकर उन्हें शिक्षा,स्वास्थ्य, स्वाभिमान,आर्थिक स्वावलम्बन तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु प्रेरित करें। राज्य सरकार द्वार संचालित योजनाओं से जुड़ी महिलाओं को रोल माॅडल के रूप में प्रस्तुत कर महिलाओं एवं छात्राओं से विचार विमर्श कराया जाये।

वैक्सिनेशन पर बल

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय मात्र शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान बनकर ही नहीं रहें। वे सामाजिक सरोकारों में भी अपना योगदान दें। विश्वविद्यालय के सभी छात्र-छात्राएं,शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मी स्वयं और अपने परिवार के सभी सदस्यों का कोरोना टीकाकरण करवायें। अपने क्षेत्र के ग्रामीण एवं नगरीय लोगों को टीकाकरण हेतु प्रेरित एवं सहायता करें। विश्वविद्यालय सुनिश्चित करें कि उनके द्वारा अंगीकृत गाॅंवों का शत प्रतिशत टीकाकरण हो। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण अनाथ होने वाले बच्चों की शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय प्रबन्ध करें। महिलाओं एवं छात्राओं को सरकारी कार्यालयों, महिला चिकित्सालय,थानों, महिला कारागार जैसे स्थानों का भ्रमण कराया जाये जिससे उन्हें वहाँ की कार्यपद्धति एवं विषयों की जानकारी हो सके। छात्राएं इससे अपने भावी जीवन में होने वाली समस्याओं एवं जिम्मेदारियों से भिज्ञ हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि महिला उत्थान के कार्यों हेतु सरकार पर ही आश्रित नहीं रहना चाहिए, इस कार्य हेतु गैर सरकारी संगठन तथा संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है।

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