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जल्द ही संवरेगी हिन्दी के प्रथम संपादक की देहरी 

रायबरेली। हिन्दी समाचार पत्र के प्रथम सम्पादक पं जुगल किशोर शुक्ल जिन्होने हिन्दी पत्रकारिता का बीजारोपण अपने पत्र उदन्त मार्तण्ड के रुप में किया था। वह पौधा  अब वट वृक्ष का रुप रुप ले चुका है। अभी तक लोग उन्हे कानपुर का मूल निवासी मान रहे थे । लेकिन एक समाचार पत्र की खोजी पत्रकारिता ने उनका गाँव खोज निकाला जो रायबरेली के सीमावर्ती जिले उन्नाव के सुमेर पुर विकास खण्ड का गाँव भाटनखेडा निकला। तब से इस गाँव में सरगर्मियां बढ़ गई हैं । अब पत्रकार व सहित्य प्रेमियों को यह उम्मीद जगी है की शायद अब उनके पूर्वज की स्मृतियाँ सजोयी जायेंगी। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही उनके इस पैतृक गाँव में उनका स्मारक बनेगा जो हिन्दी पत्रकारिता के लिये गौरव की बात है।

करीब 200 वर्ष बाद लोगों ने जाना उनका पैतृक गाँव 

जिस हिन्दी  पत्रकारिता के पुरोधा स्व श्री शुक्ल जी ने हिन्दी पत्र की पौध लगायी थी वह बेल इतनी बढ़ गई है की आज पत्रकारिता में हिन्दी समाचार पत्रों का बोलबाला है । अभी तक लोग उन्हें मूल रुप से कानपुर का ही समझ रहे थे। लेकिन एक समाचार पत्र की खोजी खबर से लोगों को उनके मूल गाँव का पता चला जो रायबरेली से जुड़े उन्नाव जनपद के सुमेरपुर विकास खण्ड का भाटनखेडा गाँव है। जहां वहाँ के स्थानीय प्रशासनने स्मारक बनाने के लिये जमीन की तलाश शुरु की है। इस पहल से हिन्दी पत्रकारों के पुरोधा से आने वाली पीढिया अवगत होंगी।

करीब 2 शताब्दी पहले हुआ था हिन्दी पत्रकारिता का आरम्भ

हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई को मनाया जाता है। इसी तिथि को पंडित युगुल किशोर शुक्ल ने 1826 ई. में प्रथम हिन्दी समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन आरम्भ किया था। भारत में पत्रकारिता की शुरुआत पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने ही की थी। हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई थी, जिसका श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। मीडिया ने आज सारे विश्व में अपनी एक ख़ास पहचान बना ली है।

बढ़ गया हिन्दी पत्रकारिता का कारवां

हिन्दी पत्रकारिता ने एक लम्बा सफर तय किया है। जब पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने ‘उदन्त मार्तण्ड’ को रूप दिया, तब किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि हिन्दी पत्रकारिता इतना लम्बा सफर तय करेगी। जुगल किशोर शुक्ल ने काफ़ी दिनों तक ‘उदन्त मार्तण्ड’ को चलाया और पत्रकारिता करते रहे, लेकिन आगे के दिनों में ‘उदन्त मार्तण्ड’ को बन्द करना पड़ा था। यह इसलिए बंद हुआ, क्योंकि पंडित जुगल किशोर के पास उसे चलाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। अब हिंदी अखबारों एवं समाचार पत्रकारिता के क्षेत्र में काफ़ी तेजी आई है।

अपने नाम की तरह की चमका हिन्दी का पहला पत्र 

उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य‘। अपने नाम के अनुरूप ही उदन्त मार्तण्ड हिंदी की समाचार दुनिया के सूर्य के समान ही था। उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन मूलतः उन्नाव जनपद के भाटन खेडा निवासी पं. युगल किशोर शुक्ल ने किया था। यह पत्र ऐसे समय में प्रकाशित हुआ था जब हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के पत्र की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘उदन्त मार्तण्ड‘ का प्रकाशन किया गया था।  उदंत मार्तण्ड ने समाज में चल रहे विरोधाभासों एवं अंग्रेज़ी शासन के विरूद्ध आम जन की आवाज़ को उठाने का कार्य किया था। कानूनी कारणों एवं ग्राहकों के पर्याप्त सहयोग न देने के कारण 19 दिसंबर, 1827 को युगल किशोर शुक्ल को उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन बंद करना पड़ा।

हिंदी के प्रथम संपादक की ड्योढी पर टेका माथा

हिन्दी के प्रथम साप्ताहिक अखबार के प्रथम संपादक पंडित जुगुल किशाेर सुकुल के गांव भाटनखेडा पहुंचकर पत्रकारों व साहित्यकारों  ने पैतृक आवास पर पहुंचकर  सभी ने माथा टेककर पुष्प अर्पित किए. दल ने चाैपाल लगाकर उनकी  स्मृतियों काे जीवंत बनाए रखने का संकल्प लिया।

हिंदी के प्रथम साप्ताहिक अखबार उदंत मार्तंड के प्रथम संपादक पंडित जुगुल किशाेर शुकूल का पैतृक आवास उन्नाव जनपद के भाटनखेडा गांव में चर्चा में आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार गाैरव अवस्थी की अगुवाई में रायबरेली और उन्नाव के  पत्रकारो व साहित्यकारों की टीम उनके पैतृक गांव पहुंची । यहां उनके पैतृक आवास की ड्योढी पर पुष्प अर्पित कर माथा टेका । पंडित जुगल किशोर की पौत्र वधू  दुर्गा देवी शुक्ला को पुष्प गुच्छ व अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। उसके बाद पत्रकार साहित्यकारों के साथ एक गाेष्ठी आयाेजित कर उनकी यादों काे जीवंत कर बनने वाले स्मारक पर चर्चा की। कार्यक्रम में रायबरेली की आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति के पदाधिकारी भी शामिल रहे।

इस अवसर पर श्री अवस्थी ने कहा कि अगले वर्ष 30 मई पत्रकारिता दिवस श्री शुक्ल के गाँव में दोनों जिलों के पत्रकार साहित्यकार मिलजुल कर मनाएंगे। इस दाैरान अनुज अवस्थी, दुर्गेश मिश्र, हरीशानंद मिश्रा, अरूण पांडेय, करूणाशंकर मिश्रा, अमन पांडेय, सुरेश मिश्रा, अनिल वर्मा कुटी दादा प्रशांत तिवारी, महेंद्र सिंह, दिवाकर सिंह, दुर्गेश कुमार सिंह, नागेश सिंह, दिनेश दीक्षित, रामू अवस्थी, प्रेम नारायण द्विवेदी आदि पत्रकार व साहित्यकार माैजूद रहे।

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