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कुदरकोट के प्राचीन अलोपा देवी मंदिर पर कलश यात्रा के साथ ही श्रीमदभागवत कथा का हुआ शुभारंभ

कुदरकोट/औरैया। कस्बा के सुप्रसिद्ध एवं प्राचीन तीर्थ स्थल अलोपा देवी मंदिर पर सोमवार से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हो गया। कथा के प्रथम दिवस कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा गाजे बजे के साथ कस्बा की मुख्य गलियों चौराहों से होकर कथा स्थल तक पहुंची। महिलाओं ने कलश यात्रा के दौरान ऋद्धि सिद्धि के प्रतीक कलश को सिर पर रखकर यात्रा पूर्ण की। इस दौरान श्रद्धालुओं में खासा उत्साह रहा।

कुदरकोट के प्राचीन अलोपा देवी मंदिर पर कलश यात्रा के साथ ही श्रीमदभागवत कथा का हुआ शुभारंभ

भव्य एवं पारंपरिक वेश में सोमवार को कुदरकोट के पावन धाम अलोपा देवी मंदिर पर श्रीमद् भागवत कथा का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ। वृंदावन से आए कथा वाचक सुशील शुक्ला के नेतृत्व में कस्बे के कथा स्थल से पवित्र जलस्त्रोत से जल भरने के साथ शुरू हुई कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु शामिल रहीं। पवित्र जलस्त्रोत से कलश को भर कर लाने के बाद कथा पांडाल में धार्मिक विधि एवं मंत्रोच्चरण के साथ स्थापित किया गया।

कुदरकोट के प्राचीन अलोपा देवी मंदिर पर कलश यात्रा के साथ ही श्रीमदभागवत कथा का हुआ शुभारंभ

आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद् भागवत कथा में वक्ता सुशील शुक्ला ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में ये श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसका सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियां को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है।

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कुदरकोट के प्राचीन अलोपा देवी मंदिर पर कलश यात्रा के साथ ही श्रीमदभागवत कथा का हुआ शुभारंभ

इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात दिनों तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो, तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकालें। तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध के प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है।

कुदरकोट के प्राचीन अलोपा देवी मंदिर पर कलश यात्रा के साथ ही श्रीमदभागवत कथा का हुआ शुभारंभ

इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। आचार्य ने बताया कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्य़ु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। इस मौके पर सुरेंद्र मिश्रा, नागेंद्र मिश्रा, मोहित, देवांश मिश्रा, शिवांश, जतिन, विपिन बिहारी दीक्षित, उर्मिला मिश्रा, चारू मिश्रा, निधि पोरवाल सहित सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहे।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन 

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