बीनागंज। जनाब कम्मू खान विगत 2 माह से सैनिक हॉस्पिटल ग्वालियर में भर्ती थे। 2 दिन पूर्व ही वहां से डिस्चार्ज होकर अपने घर लाए गए थे, जिनका आकस्मिक निधन हो गया। Kammu Khan कम्मू खान 19 सितंबर 1972 को सेना से रिटायर हुए थे और पाकिस्तान के विरुद्ध कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय थल सेना अध्यक्ष को पत्र लिखकर भारतीय सेना को सेवाएं देने के लिए पत्र लिखा था। सेना प्रमुख ने उन्हें धन्यवाद देते हुए उनका हौसला अफजाई की। 12 नवंबर की रात्रि 12:30 पर भारत माता के वीर सपूत नायक कम्मू खान उर्फ कमाल खान ने अंतिम सांस ली।
भारतीय थल सेना में भर्ती हुए Kammu Khan ने..
ग्राम पंचायत मृगवास में जन्मे कम्मू खान जिन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध 1965 और 1971 में चीन के विरुद्ध 1962 में भारतीय सेना की ओर से भारत माता की रक्षा करते हुए सीमा रेखा पर दुश्मनों से लोहा लिया था। थल सेना के सैनिक कम्मू फौजी उर्फ़ कमाल खान का जन्म 13 जुलाई 1934 ग्राम मृगवास में हुआ था। सन 1956 में भारतीय थल सेना में भर्ती हुए कम्मू खान ने बीजी रेजीमेंट में अपनी सेवाएं दी। उनकी बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उन्हें सम्मानित पदक भी प्रदान किए थे ।
हिंदू मुस्लिम संप्रदाय में दुख की लहर
कम्मू खान के निधन की खबर सुनते ही हिंदू मुस्लिम संप्रदाय में दुख की लहर फैल गई दोपहर 3:00 बजे उनका अंतिम जनाजा बावड़ी वाले कब्रिस्तान के लिए निज निवास से निकाला गया। सैकड़ों हिंदू मुस्लिम लोगों ने जनाजे में शिरकत की। अब्दुल जफर मुफ्ती साहब ने जनाजे की नमाज अता की। तत्पश्चात उनके बड़े पुत्र मुराद खान, जाहिद खान, सद्दाम हुसैन मेवाती सहित सैकड़ों लोगों ने सुपुर्द ए खाक करते हुए मिट्टी प्रदान की। इस मौके पर हिन्दू हजरात में जनाब सर्जन सिंह, अरविन्द कुमार एव गाँव व आस पास के अनेकों ग्रामीणों सहित बिदिशा जिला एवँ झालाबाड़ राजस्थान के लोगों ने शिरकत भी की।