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Cancer से घबराने की जरूरत नहीं : डॉ. आत्रेय

लखनऊ। Cancer कैंसर यानी मौत! लोगों की इस बीमारी को लेकर यही धारणा है। पर जो लोग ऐसा सोचते है वो गलत है। लोग इस बीमारी का नाम सुनकर ही हताश और निराश होकर अपनी मौत के इन्तजार में अन्दर ही अन्दर घुटने लगते है किन्तु कैंसर से घबराने की जरूरत अब बिलकुल भी नहीं है ।

कैंसर के मरीज हिम्मत न हारें, क्यूँकि सकारात्मक सोच और सही समय पर समुचित उपचार से इस बीमारी को हराया जा सकता है। कैंसर के मामले में रोगी शुरूआती दौर में इसका आभास नहीं कर पाता है। हमारे पास आज ऐसे कई लोगों के उदाहरण है जोकि कैंसर को मात देकर एक सामान्य जिन्दगी जी रहे है। कैंसर को लेकर हमारे समाज में अभी भी कई प्रकार की भ्रान्तियॉ हैं।

Cancer का नाम सुनते ही

इस बीमारी के बारे में बताते हुए अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल ओन्कोलॉजिस्ट, डॉ हर्षवर्धन आत्रेय ने कहा कि Cancer कैंसर का नाम सुनते ही मरीज अवसाद में चला जाता है, ऐसी स्थिति में उसे हिम्मत से काम लेना चाहिये। पिछले 50 सालों में कैंसर के सफलतापूर्ण इलाज में काफी प्रगति हुई है। बायोप्सी करनाने वाले मरीज ज्यादा जीते है जबकि इसे अनदेखा करने वाले कम जीते है ।

बायोप्सी में व्यक्ति के शरीर सामान्य ऊतको (टिश्यू) में से बहुत छोटे हिस्से को निकालकर उसे लैब भेज दिया जाता है। मान लिजिये अगर किसी के शरीर में कोई गॉंठ निकल आये और उसका सही कारण नहीं पता लग रहा है तो ऐसी स्थिति में बायोप्सी ही एकमात्र विकल्प है जिसके जरिये ये पता लगाया जा सकता है गॉंठ बनने की मुख्य वजह क्या है।
डा. आत्रेय ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि एक्सीजनल बायोप्सी में जहॉं त्वचा के उपर ऊभरी हुई गॉठ को सर्जरी के जरिये पूरी तरह से निकाल दिया जाता है तो वही इनसीजनल बायोप्सी जिसे कोर बायोप्सी भी कहा जाता है, में ऊतक के नमूना लिया जाता है। स्क्रेप बायोप्सी में ऊतको की सतह से कोशिकाओं को निकाल लिया जाता है। इसी प्रकार अलग-अलग बीमारियों के लिये पंच बायोप्सी, नीडिल बायोप्सी, स्टीरियोटेक्टिक बायोप्सी, एंडोस्कोपिक बायोप्सी, की जाती है ।

बायोप्सी या सर्जरी करने से

डॉ हर्षवर्धन आत्रेय ने आगे बताया कि बायोप्सी या सर्जरी करने से कैंसर फैलने की संम्भावना नगण्य है। आजकल नई तकनिकी व सर्जरी से कैंसर को प्रारम्भिक अवस्था में पूरी तरह से निकालना संभव है। बायोप्सी ही कैंसर में एकमात्र ऐसी चिक्तिसा विधि है जिससे पता चल जाता है कि कैंसर किस अवस्था में है और इसके उपचार के लिये किमोथेरेपी कारगर होगी या टारगेटेड थेरेपी।

डॉ. हर्षवर्धन आत्रेय के मुताबिक किसी व्यक्ति को अगर कुछ भी तकलीफ जैसे अचानक से वजन गिरने लगे, भूख कम लगे, उल्टियॉं महसूस हो, कोई भी मस्सा या तिल जो आकार में बढ़ने लगे, माहवारी में ज्यादा रक्तस्राव, अकारण शरीर से रक्त निकलना, कोई गॉठ, मल त्यागने में समस्या हो तो देर न करके हुए तत्काल चिक्तिसक के पास जाकर जॉंच करवानी चाहिये। समय-समय पर हमकों अपने शरीर की नियमित जॉंच करवाते रहना चाहिये ताकि हमें शरीर में आने वाले किसी भी विकार का पता चल सके।

 

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