उत्तराखंड में गम्भीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपए तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाली अटल आयुष्मान योजना के तहत हुआ फर्जीवाड़ा काशीपुर कोतवाली के लिए सिरदर्द बन गया है. इसका कारण अटल आयुष्मान घोटाले में दो अस्पतालों के खिलाफ दर्ज की जा रही प्राथमिकी यानी एफआईआर है.
असल में अंग्रेजी और हिंदी में भेजी गई दोनों की एफआईआर लिखने में मुंशियों के पसीने छूट रहे हैं. पता चला है कि इस एफआईआर को दर्ज करने में एक हफ्ते तक का समय लग सकता है. इसे लिखते हुए चार दिन गुजर चुके हैं. काशीपुर कोतवाली के इतिहास में ही नहीं, बल्कि माना जा रहा है कि उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है.
अस्पतालों ने फर्जीवाड़ा कर सरकार से वसूला था क्लेम
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गंभीर बीमारियों का निशुल्क इलाज की सुविधा देने वाले अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा पकड़ा था. इसके तहत रामनगर रोड स्थित एमपी अस्पताल और तहसील रोड स्थित देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं मिली थीं. इनकी जांच के दौरान पाया गया था इन दोनों अस्पतालों के संचालकों ने रोगियों के इलाज के फर्जी बिलों का क्लेम सरकार से वसूला था. अस्पतालों में रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भी उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाया गया.
इतना ही नहीं आईसीयू में जितने रोगियों को रखने की क्षमता है उससे अधिक रोगियों का उपचार दर्शाया गया. अस्पताल की क्षमता से कई गुना अधिक डायलिसिस केस एमबीबीएस डॉक्टर की ओर से किया जाना बताया गया. इस तरह के फर्जीवाड़े के बहुत सारे मामले मिले थे. इन सभी मामलों का विस्तृत ब्यौरा एफआईआर में लिखा जा रहा है. इस रिपोर्ट को लिखते-लिखते चार दिन गुजर चुके हैं. बताया जा रहा है कि इसे पूरा लिखने में दो-तीन और लग सकते हैं.