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बिधनू सीएचसी पर सुपोषण मेला आयोजित 107 बच्चों का हुआ परीक्षण, पांच अति कुपोषित चिन्हित

बिधूना। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा चिन्हित किये गए पांच वर्ष तक के कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों का बिधनू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित कुपोषण मेले में परीक्षण किया गया और नि:शुल्क दवा का वितरण किया गया। हाथों की स्वच्छता के तरीकों पर चर्चा हुई एवं बच्चों को हाथ धुलाई कराकर उसे दैनिक जीवन में शामिल करने का संदेश दिया गया। इसके साथ ही अभिभावकों से अपील की गई कि स्वच्छता एवं हाथ धुलाई को बच्चे दैनिक जीवन में जरूर अपनाएं जिससे वह बीमारियों से दूर रह सकें।

बिधनू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्साधिकारी डॉ. एसपी यादव ने बताया कि बिधनू ब्लॉक के प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ताओं द्वारा कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चें जिनकी उम्र पांच वर्ष तक है उन्हें शनिवार को आयोजित सुपोषण मेले में लाया गया। इसके अलावा गर्भवती एवं बच्चों का वजन लिया गया तथा साथ ही संतुलित एवं स्वस्थ खानपान व एनीमिया आदि से बचाव के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि मेले में 107 बच्चों का परीक्षण किया गया जिसमें 42 बच्चों को पीली श्रेणी (कुपोषित ) में रखा गया है और पांच बच्चे लाल श्रेणी (अति कुपोषित) में चिन्हित किये गए हैं। इसके साथ ही 60 बच्चे सामान्य पाए गए।

डॉ. यादव ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि किन्हीं कारणों से कोई भी बच्चा कुपोषित न रह जाए और किशोर-किशोरी एनीमिया को दूर किया जा सके ताकि सभी का समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास हो सके। इसके साथ ही गर्भवती को भी इस योजना से लाभान्वित किया जाता है ताकि जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहें। उन्होंने बताया – मेले में गर्भवती के आहार पर चर्चा की गई। बच्चों को छह माह के बाद ऊपरी आहार एवं संस्थागत प्रसव पर भी चर्चा की गई।

डॉ यादव ने बताया कि मेले में मौजूद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलेश कुमार के द्वारा परीक्षण के बाद नि:शुल्क दवा व खान -पान का परामर्श भी दिया गया । क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कुपोषण को खत्म करने के लिए लगातार जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के डॉ पुष्पेंद्र, डॉ राघवेंद्र व अमित श्रीवास्तव व अभिषेक गुप्ता(आप्टोमेटिक) व स्टाफ नर्स पूनम व सरोजनी की टीम कार्य करती है। इससे कुपोषण के प्रति ग्रामीण स्तर पर जागरूकता देखने को मिल रही है और कुपोषित बच्चों की संख्या में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

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