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सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश:’जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सहित सभी पाबंदियों की जल्द होगी समीक्षा’

1-सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सहित सभी पाबंदियों की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि सरकार और स्थानीय निकायों की वे सभी वेबसाइटें चालू की जाएं जहां इंटरनेट के दुरुपयोग का खतरा सबसे कम है. जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की संयुक्त बेंच ने यह आदेश जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद इंटरनेट सहित कई सेवाओं पर पाबंदी के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया.

2-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर पूरी तरह से रोक लगाना एक बड़ा फैसला है और सरकार को यह तभी करना चाहिए जब हालात से निपटने के बाकी सभी तरीके आजमाए जा चुके हों. शीर्ष अदालत का यह भी कहना था कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन अगले एक हफ्ते के भीतर इस केंद्र शासित प्रदेश में लगी सभी पाबंदियां और इसके पीछे के विस्तृत कारण सबूत सहित सार्वजनिक करे.

3-सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना था कि सिर्फ सरकार के किसी फैसले के खिलाफ असहमति या विरोध व्यक्त करना इंटरनेट पर रोक लगाने का कारण नहीं हो सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति और कारोबार करने की आजादी को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के जरिये सुरक्षित किया गया है. अदालत के मुताबिक इस पर उन कारणों के चलते ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है जिनका अनुच्छेद 19 (2) में जिक्र है. अदालत ने कहा कि इंटरनेट सेवा अभिव्यक्ति के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है और इसे अनिश्चितकाल के लिए या बिना कारण के रोका नहीं जा सकता.

4-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है. अदालत का कहना था कि वह मानवाधिकारों और आजादी और सुरक्षा के मुद्दे को लेकर संतुलन बनाने की पूरी कोशिश करेगी.

5-सुप्रीम कोर्ट ने धारा 144 का भी जिक्र किया. इसके तहत चार या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक होती है. अदालत ने कहा कि धारा 144 लगाना भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है और सरकार इसके कारणों को लेकर भी जानकारी सार्वजनिक करने को बाध्य है. सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना था कि धारा 144 का इस्तेमाल मनमाने तरीके से या किसी विचार को दबाने के जरिये के तौर पर नहीं किया जा सकता. उसने कहा कि संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को धारा 144 लगाते वक्त अपने विवेक का भली-भांति इस्तेमाल करना चाहिए और देखना चाहिए कि यह कहीं अति वाली प्रतिक्रिया तो नहीं है.

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