New Delhi। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को उस याचिका की सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक गिनती के अलावा वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100 प्रतिशत हाथों से गिनती के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjiv Khanna), न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन (Justice Sanjay Kumar and Justice KV Vishwanathan) की पीठ इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के 12 अगस्त, 2024 के फैसले के खिलाफ हंस राज जैन की याचिका पर विचार कर रही थी।
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‘विवादित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई अच्छा आधार नहीं’
सीजेआई ने हंस राज जैन (Hans Raj Jain) की अपील को खारिज करते हुए कहा, ‘हमें (दिल्ली उच्च न्यायालय के) विवादित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई अच्छा आधार नहीं मिला। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है’। सीजेआई ने आगे कहा कि उनके नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने पहले भी इसी तरह के मुद्दे उठाते हुए एक फैसला सुनाया था और इसे बार-बार नहीं उठाया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने कहा था- EVM सुरक्षित, सरल
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine) के डेटा का वीवीपीएटी रिकॉर्ड के साथ 100 प्रतिशत क्रॉस-सत्यापन करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने तब कहा था कि ईवीएम सुरक्षित, सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं।
पिछले साल 12 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के फैसलों का हवाला दिया और जैन की याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद उसने अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। हंस राज जैन ने चुनाव आयोग को भविष्य में वीवीपीएटी प्रणाली के उपयुक्त प्रोटोटाइप का उपयोग करने के निर्देश देने की मांग की, जिसमें प्रिंटर को खुला रखा जाता है और मुद्रित मतपत्र, जो कट जाता है और प्रिंटर से बाहर गिर जाता है, मतदान केंद्र छोड़ने से पहले पीठासीन अधिकारी को देने से पहले मतदाता की तरफ सत्यापन के अधीन होता है। उन्होंने कहा कि नियंत्रण इकाई की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक गिनती के अलावा वीवीपीएटी पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती होनी चाहिए।