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बिटकॉइन घोटाले में 10 FIR को सुप्रीम कोर्ट ने CBI के पास भेजा, आरोपियों की बढ़ी मुश्किले

उच्चतम न्यायालय ने बिटकॉइन क्रिप्टोकरंसी घोटाले से संबंधित 40 से अधिक प्राथमिकियों को आगे की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भेजने का आदेश दिया और मुकदमे को दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जो आरोपी अग्रिम जमानत पर हैं, उन्हें जांच को ”बाधित” करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत की राहत देने वाले अपने 30 अगस्त, 2019 के आदेश को रद्द कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अगर आरोपियों को किसी अन्य अदालत से नियमित जमानत नहीं मिलती है, तो उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर इसके लिए अनुरोध करना होगा। पीठ ने कहा कि जिन मामलों में प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, उनकी सुनवाई अब नयी दिल्ली के राउज एवेन्यू में एक विशेष सीबीआई अदालत में की जाएगी।

प्राथमिकियां महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर की स्थानीय पुलिस के अलावा, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित कई एजेंसियों द्वारा दर्ज की गई थीं। आरोपियों द्वारा दायर 32 याचिकाओं को खारिज करते हुए, पीठ ने कहा, ”हमारा मानना है कि प्राथमिकियों में लगाए गए आरोप जांच के योग्य हैं। अनुच्छेद 32 के तहत अधिकार का इस्तेमाल उचित नहीं है।”

पीठ ने कहा, ”संबंधित सभी प्राथमिकियों को आगे की जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया जाए। अंतरिम आदेश के अनुसार इस अदालत के समक्ष जमा की गई राशि (एक करोड़ रुपये) राउज एवेन्यू, नयी दिल्ली में विशेष सीबीआई अदालत में स्थानांतरित कर दी जाएगी।” संविधान का अनुच्छेद 32 भारतीय नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित होने पर राहत के लिए उच्चतम न्यायालय जाने की अनुमति देता है। पीठ ने पहले दी गई अग्रिम जमानत की राहत वापस लेते हुए कहा, ”हम आपको जांच एजेंसी के साथ सहयोग न करके जांच को बाधित करने की अनुमति नहीं दे सकते।”

आरोपियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि बिटकॉइन की कानूनी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है और आरोपियों को जांच एजेंसियों और अदालतों का सामना करने के लिए देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भागना पड़ता है। ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह जांच को सीबीआई के पास भेजने और मुकदमे को दिल्ली की एकल अदालत में स्थानांतरित करने के विरोध में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ”लेकिन अग्रिम जमानत का अंतरिम संरक्षण वापस लिया जाना चाहिए।”

इससे पहले, शीर्ष अदालत मुख्य आरोपी अमित भारद्वाज द्वारा उसके पूर्व के आदेश का पालन न करने पर नाराजगी जताई, जिसकी बाद में मृत्यु हो गई। उसने ईडी के साथ अपना उपयोगकर्ता नाम, पासवर्ड साझा नहीं किया था। शीर्ष अदालत देश में निवेशकों को उच्च रिटर्न का वादा करने के बाद उन्हें बिटकॉइन में व्यापार करने के लिए प्रेरित करके धोखा देने के आरोप में अमित भारद्वाज और अन्य के खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को रद्द करने से संबंधित मामलों पर सुनवाई कर रही है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा था कि देश भर में लोगों को कथित तौर पर धोखा देने के आरोप में आरोपियों के खिलाफ लगभग 47 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इन मामलों में 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के 87,000 बिटकॉइन का व्यापार शामिल था। इस मामले में अमित भारद्वाज, उसके दो भाई और उसके पिता आरोपी हैं। भारद्वाज के खिलाफ आरोप यह था कि उसने अन्य सह-आरोपियों के साथ, जिनमें से ज्यादातर उनके परिवार के सदस्य हैं, लोगों को 18 महीनों के लिए 10 प्रतिशत मासिक रिटर्न सुनिश्चित करने के झूठे वादे पर बिटकॉइन में निवेश करने के लिए प्रेरित किया था।

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