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Tag Archives: बौद्ध ग्रंथ ‘अंगुत्तरनिकाय चक्कतुनिपात’

अस्था पर आघात- हृदयनारायण दीक्षित

अंश पूर्ण नहीं होता। सदा अपूर्ण होता है। अंश के आधार पर पूर्ण का विवेचन नहीं हो सकता। विवेचन में देश काल के प्रभाव का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। सम्यक विवेचन में समग्र विचार आवश्यक होता है। देश काल के प्रभाव में समाज बदलते रहते हैं। मान्यताएं भी ...

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