वर्तमान परिस्थियों में संसद के मानसून सत्र का अत्यधिक महत्व था। कोरोना की दूसरी लहर नियंत्रित हुई है,लेकिन तीसरी लहर की आशंका है। इसके अलावा भी लोकहित के अनेक विषयों पर व्यापक चर्चा आवश्यक थी। लेकिन विपक्ष के हंगामे ने इसकी दिशा ही बदल दी। उसे लगा होगा कि वह ...
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