किसी वैश्विक संगठन ने पहली बार भारतीय सूक्ति को अपना ध्येय वाक्य बनाया है. वस्तुतः यह भारतीय चिन्तन के बढ़ते प्रभाव और लोक प्रियतमा की प्रतिध्वनि है. जिसे विश्व सहजता से स्वीकार कर रहा है. लोगों को धीरे धीरे यह समझ में आ रहा है कि वैश्विक समस्याओं का समाधान ...
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