किसी वैश्विक संगठन ने पहली बार भारतीय सूक्ति को अपना ध्येय वाक्य बनाया है. वस्तुतः यह भारतीय चिन्तन के बढ़ते प्रभाव और लोक प्रियतमा की प्रतिध्वनि है. जिसे विश्व सहजता से स्वीकार कर रहा है. लोगों को धीरे धीरे यह समझ में आ रहा है कि वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिन्तन के माध्यम से किया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि परिवार भाव से ही सबका भला होगा। भारत ने विश्व को एक परिवार माना है। जी-20 का ध्येय वाक्य भी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ है। विश्व के लिए परिवार की बहुत आवश्यकता है। कई देशों में वहां के राजनीतिक दलों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में लिखना पड़ रहा है कि हम पारिवारिक मूल्यों को लागू करेंगे। आज परिवार में एकता की बात होती है, लेकिन यह बात विरोधाभासी है।
परिवार का मतलब ही एकता है, लेकिन आज परिस्थिति ऐसी हो गई हैं कि परिवार में एकता की बात की रही है। दत्तात्रेय होसबाले ने लखनऊ में एक कहा कि कहा कि मनुष्य को संस्कार परिवार से ही मिलता है। परिवार ठीक नहीं होने पर बच्चों का जीवन बर्बाद हो जाता है। परिवार में आत्मीयता व परस्पर सामंजस्य का भाव कम हो गया तो बच्चे समाज के अच्छे नागरिक नहीं बन पायेंगे। परिवार ठीक रहेगा तो सब ठीक रहेगा। इसलिए परिवार में जीवन मूल्य सिखाएं, तभी मानवता सुखी रहेगी।
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सद्भावना व सत्कर्म से जो संस्कार होता है उससे राष्ट्र व समाज का कल्याण होता है। आदर्श परिवार बनाने के लिए सबके प्रति स्नेह का भाव व सबको जोड़कर एक समाज के नाते मिलकर रहने से समाज की शक्ति बढ़ेगी। एक दूसरे के प्रति प्रेम आत्मीयता सहयोग व समन्वय की भावना होनी चाहिए। दूसरे के विकास में मन को प्रसन्नता होती है।
इसी को परिवार कहते हैं। परिवार के संदेश को हमने संगठन में भी लिया है। इसलिए हम जहां भी कार्य करें वहां टीम भावना से कार्य करें। प्रेम, समन्वय व सहयोग की भावना जो परिवार में होती है, उसी भाव व भावना को लेकर संघ कार्य कर रहा है।