महोपनिषद् में भारत के उदार चिंतन का उद्घोष किया गया- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ इसका मूलभाव यह भी है कि समाज में पीड़ित या जरूरतमन्दों की सहायता सेवा अपनत्व के साथ करनी चाहिए। जिस समाज में परस्पर सहयोग की ऐसी भावना होती ...
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