भारतीय चिंतन व संस्कृति में मानव कल्याण की कामना की गई। इसमें कभी संकुचित विचारों को महत्व नहीं दिया गया। समय समय पर अनेक सन्यासियों व संतों ने इस संस्कृति के मूलभाव का सन्देश दिया। सभी ने समरसता के अनुरूप आचरण को अपरिहार्य बताया। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वाभिमान पर ...
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