पुकार कितनी बार पुकारा तुमको, लौट के आ जाती आवाज। ना प्रतिउत्तर ना छवि है ध्यान, मोहपाश में है लाचार। सूखी नदिया सूखे ताल, अखियों में फिर भी बरसात। सुनी अनसुनी हुई पुकार, एक तरफा सा है व्यवहार। लौट के आ जाती आवाज।। डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
Read More »पुकार कितनी बार पुकारा तुमको, लौट के आ जाती आवाज। ना प्रतिउत्तर ना छवि है ध्यान, मोहपाश में है लाचार। सूखी नदिया सूखे ताल, अखियों में फिर भी बरसात। सुनी अनसुनी हुई पुकार, एक तरफा सा है व्यवहार। लौट के आ जाती आवाज।। डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
Read More »