अजब इतिफाक है। एक तरफ केन्द्र की मोदी सरकार निजीकरण की ओर बढ़ रही है तो दूसरी ओर उस पर इस बात का दबाव है कि वह युवाओं के लिए अधिक से अधिक सरकारी नौकरियों की व्यवस्था करे। देश का यह दुर्भाग्य है कि यहां का करीब 75 प्रतिशत पढ़ा-लिखा ...
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