भारतीय व पाश्चात्य चिंतन में मूलभूत अंतर है। इस कारण व्यक्ति समाज सुख और अर्थव्यवस्था आदि सभी के संबन्ध में दृष्टिकोण भी बदल जाते है। पश्चमी देशों ने उपभोगवादी चिन्तन के अनुरूप विकास किया। इसमें बड़ी सफलता भी मिली। लेकिन यही विकास उनकी परेशानी बढा रहा है। परिवार व समाज ...
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