चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर विराजमान थे। चबूतरे के आसपास पड़ी कुर्सियों पर मुंशीजी, कासिम चचा बैठे थे। मैंने सबको राम जोहारि की। फिर प्रपंच चबूतरे के एक कोने पर बैठ गया। सब लोग बड़के दद्दा व ककुवा का इंतजार कर रहे थे। तभी पच्छेहार से बड़को बुआ व ...
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