मैं आज जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा तो चतुरी चाचा के साथ ककुवा व बड़के दद्दा विराजमान थे। मेरे पीछे से कासिम चचा व मुन्शीजी भी पधार गए। चतुरी चाचा ने बतकही शुरू करते हुए कहा- मौसम बिल्कुल होलिकाना हो गया है। शुक्रवार को आंधी-पानी के साथ छुटपुट ओलबृष्टि हुई ...
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