आज प्रपंच चबूतरे पर नीम की घनी छांव के बीच गुनगुनी धूप झांक रही थी। अलाव और कुर्सियां नदारद थीं। चतुरी चाचा की टोपी और शाल भी गायब थी। चबूतरे के आसपास बसंत बहार छाई थी। आसपास का माहौल देखकर लग रहा था कि फाल्गुन आने वाला है। चतुरी चाचा ...
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