मथुरा के ऐसे गांव जहां आवागमन के साधन भी नहीं हैं, वहां दो वर्षों से एक महिला गुमनाम जीवन बिता रही थी। गांव-गांव जाकर घर-घर रोटी मांगकर खाना और जहां रात हो जाती वहीं सो जाती। कभी लोग दुत्कार कर भगा देते तो कुछ तरस खाकर खाना दे देते।कहीं असमाजिक ...
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