तब प्रेम नहीं कर पाऊंगी कोई और होता तो समझ आता। दिल ये मेरा कुछ सम्भल जाता।। जो ये तूने किया तो कहाँ जाऊं मैं। शीतलता दिल की कैसे पाऊं मैं।। मैंने तुमसे निस्वार्थ प्रेम किया था। अपना तन-मन तुमको दिया था।। धन-दौलत, सुख-सुविधा चाहा न मैंने। किसी भी कसौटी ...
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