भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी जगत में नव जागरण का सूत्रपात किया। उनके पहले इसमें मध्यकालीन तत्वों का बोध था। भारतेंदु ने नई राह पर आगे बढ़ाया। भविष्य के लिए मापदंड का निर्धारण किया। जिसका अनुसरण करते हुए साहित्य पुष्पित पल्लवित हुआ। उन्होंने अनेक नई विधाओं का सृजन किया। उन्होंने साहित्य ...
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