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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के सफल क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे अध्यापक

• 10 से 28 अगस्त तक चलने वाले एमडीए अभियान में स्कूलों द्वारा होगा रैली का आयोजन

औरैया। 10 अगस्त से शुरू होने वाले फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के दौरान अध्यापक भी लोगों को जागरूक करेंगे। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ब्लाक अजीतमल के बीआरसी सभागार में फाइलेरिया रोग की जन जागरूकता को लेकर खंड शिक्षा अधिकारी अजीतमल दीपक कुमार की अध्यक्षता में समस्त अध्यापकों की बैठक आयोजित की गई। इस मौके पर आगामी 10 अगस्त से शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए) के विषय में विस्तृत चर्चा की गई।

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के सफल क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे अध्यापक

इस दौरान फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने बताया कि अध्यापक समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं। उनके द्वारा दी जानेवाली जानकारी एवं संदेश जनमानस आत्मसात करते हुए महत्व देता है। इस बार भी फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जाने वाले सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में इनकी महती भूमिका होगी। समाज में फैली भ्रांतियों के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे व दवा सेवन हेतु सभी को प्रेरित करने की अपील करेंगे।

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उन्होंने उपस्थित अध्यापकों को बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। इससे बचाव के लिए पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना अनिवार्य है। यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को (गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) दवा खानी है। एमडीए अभियान में एक से दो वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को भी पेट के कीड़े मारने की दवा खिलाई जाएगी।

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के सफल क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे अध्यापक

इस मौके पर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अजीतमल गिरेंद्र सिंह ने कहा कि आगामी 10 से 28 अगस्त के मध्य सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए) चलाया जाएगा। उन्होंने सभी अध्यापकों से अपील की कि स्कूल में इस अभियान का शुभारंभ स्वयं बच्चों के सामने दवा खाकर करें। इसके बाद अपने स्कूल के बच्चों, आस-पास के लोगों व गांव के अन्य बाशिंदों को डीए की उपस्थिति में दवा खाने के लिए प्रेरित करें।

याद रहें यह दवा किसी को खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।

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पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक सुनील गुप्ता ने कहा कि आप सभी लोग स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने फाइलेरिया से बचाव की दवा खाएं, साथ ही में परिवार के सदस्यों, स्कूल के बच्चों और आस-पास के लोगों को भी यह दवा खाने के लिए प्रेरित करें।

कार्यक्रम के पहले ही गांव में स्कूलों के बच्चों का सहयोग लेकर रैलियों का आयोजन करेंगे, प्रार्थना सभा में बच्चो को फाइलेरिया रोग के विषय में जागरूक करेंगे, स्कूलों में चित्रकला, निबंध प्रतियोगिता का आयोजन करेंगे, पैरेंट्स बैठक का आयोजन करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग दवा सेवन का फायदा ले सकें ताकि ऐसी असाध्य बीमारी से आम जनमानस का बचाव किया जा सकें।

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के सफल क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे अध्यापक

क्योंकि फाइलेरिया एक गंभीर एवम लाईलाज बीमारी है और इससे बचने का एकमात्र उपाय समय रहते हुए फाइलेरिया रोग से बचाव की दवा का सेवन पहले ही करना है जिससे कि समय रहते फाइलेरिया रोग होने से बचाव किया जा सके।फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। इस मौके पर खंड शिक्षा अधिकारी ने दीपक कुमार ने उपस्थित अध्यापकों को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु सहयोग दिए जाने हेतु निर्देशित भी किया

इस दौरान समस्त अध्यापकों ने भी अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु अपना सम्पूर्ण योगदान देने का आश्वासन भी दिया गया। कार्यक्रम में एआरपी अमित कुमार पोरवाल, अमित सिंह, प्रशांत शुक्ला सहित 156 अध्यापक मौजूद रहें।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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