Breaking News

अधिकारियों और परामर्शदाताओं की टीम ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना का किया निरीक्षण

यूएसबीआरएल भारतीय रेल की ओर से हिमालय के मध्य से होकर कश्मीर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई एक ब्राड-गेज रेल लाइन निर्माण राष्ट्रीय परियोजना है।

लखनऊ। रेल अधिकारियों, एजेंसियों, परामर्शदाताओं की टीम ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के कार्य की प्रगति जानने और कार्य में तेजी लाने के लिए कश्‍मीर घाटी का दौरा किया।

उत्‍तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल के अनुसार रेल अधिकारियों, एजेंसियों, परामर्शदाताओं की एक टीम ने हाल ही में ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के कटड़ा-बनिहाल रेल सेक्‍शन पर केआरसीएल की ओर से किए जा रहे कार्यों का निरीक्षण करने के लिए एक छोर से दूसरे छोर तक लगातार चार दिनों तक कश्‍मीर घाटी का दौरा किया।

ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना का किया निरीक्षण

परियोजना को तीव्रता से पूरा करने के लिए सभी जटिल मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस टीम में ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के मुख्‍य प्रशा‍सनिक अधिकारी, ए.के. खंडेलवाल, केआरसीएल के सीएमडी, संजय गुप्‍ता के साथ अनेक अधिकारी एवं परामर्शकर्ता शामिल थे। यूएसबीआरएल भारतीय रेल की ओर से हिमालय के मध्य से होकर कश्मीर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई एक ब्राड-गेज रेल लाइन निर्माण राष्ट्रीय परियोजना है।

इस खंड पर कई बड़े पुल और सुरंगे बन रही हैं।

हर मौसम-अनुकूल, आरामदायक, सुविधाजनक एवं लागत-प्रभावी जन परिवहन प्रणाली देश के उत्तरी भाग के पर्वतीय क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी होगी।
परियोजना के प्रथम तीन चरणों का निर्माण पूरा हो गया है और कश्मीर घाटी में बारामूला-बनिहाल तथा जम्मू क्षेत्र में जम्मू-उधमपुर-कटरा के बीच ट्रेनों के संचालन के लिए लाइन परिचालन में है। कटरा-बनिहाल के बीच शेष बचे 111 किमी. खण्ड पर काम चल रहा है जो अपने भूविज्ञान और गहरी घाटियों से भरी व्यापक नदियों के कारण सबसे कठिन एवं चुनौतीपूर्ण हिस्सा है।

इस खण्ड पर अधिकतर रेल ट्रैक टनलों या पुलों पर बिछाया गया है।

इस खंड पर कई बड़े पुल और सुरंगे बन रही हैं। इस खण्ड पर अधिकतर रेल ट्रैक टनलों या पुलों पर बिछाया गया है। इस क्षेत्र में एक प्रभावी भूतल परिवहन प्रणाली के अभाव में, रेलवे को निर्माण स्थलों तक पहुंचने के लिए पहले 205 किमी तक पहुंच मार्ग बनाना पड़ा।

तीन एजेंसियां, इरकान, केआरसीएल और उत्तर रेलवे रेल लाइनों के निर्माण में अपने व्यापक अनुभव के साथ इस परियोजना में शामिल हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां और अग्रणी भारतीय संस्थान जैसे आईआईटी रूड़की, आईआईटी दिल्ली, डीआरडीओ और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण योजना एवं कार्यान्वयन में विशेषज्ञता प्रदान कर रहे हैं। इस कार्य के लिए टनलिंग मशीनरीज क्रेनों के कई सेट आयात किये गये हैं।

रिपोर्ट – दयाशंकर चौधरी

About reporter

Check Also

वायु प्रदूषण से फेफड़े के अलावा इन अंगों को भी होता है नुकसान, कम हो सकती है बौद्धिक क्षमता

लाइफस्टाइल-आहार में गड़बड़ी के कारण पिछले एक-दो दशकों में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का ...