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फिल्म “ये साली आशिकी” प्यार के बाद पैदा हुई घिनौनी नफरत की कहानी…

2019 में बॉलीवुड में कई सुपरस्टार्स के बच्चों ने डेब्यू किया। इस लिस्ट में सिनेमा के मोगैंबो अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी का नाम भी शामिल हो गया है। वर्धन पुरी ने बॉलीवुड में डेब्यू फिल्म “ये साली आशिकी” से किया है। फिल्म 28 नवंबर 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में वर्धन पुरी के साथ शिवालिका ओबेरॉय है। वर्धन पुरी की पहली फिल्म भी बाकी स्टारकिड्स की डेब्यू फिल्मों की तरह ही लव स्टोरी है, लेकिन ये लव स्टोरी की कहानी बाकियों से अलग है, ये कहानी प्यार के बाद पैदा हुई घिनौनी नफरत की कहानी है। जहां प्यार में मासूमियत होती है, जज्बात होते है, वहीं इस फिल्म में प्यार का क्रूर, वीभत्स चेहरा आपको दिखाने को मिलेगा। फिल्म का कॉन्सेप्ट प्यार के दूसरे रूप को दिखा रहा है और बाकी लव स्टोरी से अलग है इसलिए फिल्म की सराहना होनी चाहिए।

फिल्म “ये साली आशिकी” की कहानी-
फिल्म में दिखाया गया है कि साहिल मेहरा (वर्धन पुरी) कॉलेज में खड़े होकर अपने दोस्तों से कह रहा होता है कि “लोग कहते हैं कि देश में लड़कियां असुरक्षित हैं, लेकिन सच तो यह है कि लड़के भी कुछ खास सुरक्षित नहीं हैं..”। सहिल की इसी लाइन के इर्द-गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी। साहिल मेहरा शिमला के होटल मैनेजमेंट कॉलेज में बढ़ाई कर रहा होता है जहां उसकी मुलाकात मीति देवड़ा (शिवालिका ओबेरॉय) से होती है। साहिल मेहरा को मीति देवड़ा से पहली नजर में ही प्यार हो जाता है। साहिल मेहरा अपने प्यार का इजहार करता है कुछ दिन बाद मीति को भी साहिल अच्छा लगने लगता है। दोनों के बीच प्यार की शुरुआत होने लगती है, लेकिन इस प्यार की कहानी बाकी प्रेम कहानियों की तरह नहीं होती। इस लव स्टोरी में सच्चा प्यार, मासूमियत, लव केमिस्ट्री फिलिंग जैसी चीजें नहीं होती बल्कि धोखा, नफरत, खिलवाड़ होता है। आखिर मीति देवड़ा और साहिल मेहरा के बीच ऐसा क्या होता है?

साहिल मेहरा मीति से बेहद प्यार करने लगता है मीति से जुड़ने के बाद वह अपने दोस्तों और घरवालों से अगल हो जाता है। लोगों से दूरी और अकेलेपन से साहिल का प्यार पागलपन में बदलने लगता है। मीति साहिल की परिस्थितियों को बिना समझे, उसका फायदा उठाते हुए एक झूठी घटना में फंसाकर उसे पागलखाने तक पहुंचा देती है। फिर साहिल मीति से इंतकाम लेने की स्क्रिप्ट तैयार करता है। क्या साहिल अपने मकसद में कामयाब हो पायेगा इसे जानने लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्म “ये साली आशिकी” रिव्यू-
वर्धन पुरी ने अपनी पहली फिल्म से ही जाहिर कर दिया है कि वह एक मझे हुए कलाकार के खानदान से हैं। फिल्म में वर्धन के दो रूप को दिखाया गया है पहले रूप में वर्धन कॉलेज के शांत स्वभाव के लड़के बने हैं वहीं प्यार में धोखे का शिकार होने के बाद वह एकदम बदल जाते है वर्धन का शांत स्वरूप, खुंखार रूप में बदल जाता है। एक पर्दे पर इंसान के दो अलग-अलग चरित्र को वर्धन पुरी ने बखूबी दर्शाया है। वर्धन पुरी फिल्म में कई जगह डायलॉग डिलेवरी देने में कच्चे लगे है लेकिन पहली फिल्म में इतनी गलती तो मांफ की जा सकती है। शिवालिका ओबेरॉय कुछ हद तक प्रभावित कर पाई हैं। उनके हाव भाव अच्छे हैं।

अब बात करते है सबसे जरूरी चीज फिल्म के निर्देशन की। फिल्म के निर्देशक के हाथ में होता है फिल्म को चलाना। कहानी अच्छी होने के बावजूद भी अगर निर्देशन अच्छा नहीं है तो फिल्म औंधे मुंह गिर जाती है। कुछ ऐसा हाल “ये साली आशिकी” का भी हुआ है। फिल्म का निर्देशन चिराग रूपरेल ने किया है। कलाकारों की जानदार एक्टिंग और अच्छी स्क्रिप्ट के बावजूद फिल्म आपको कनेक्ट नहीं कर रही है इसके पीछे बड़ा कारण है फिल्म के डायरेक्शन में कमी रह गयी।

कुल मिलाकर यदि आपको मामूली रोमांटिक फिल्मों से अलग प्यार में संस्पेंस थ्रिलर का तड़का देखना पसंद है तो “ये साली आशिकी” देख सकते हैं। फिल्म में एक दृश्य अमरीश पुरी की याद भी दिलाता है, जहां वर्धन पुरी कबूतरों को दाना खिलाते हुए ‘आओ आओ..’ बोलते हैं। यह दृश्य आपको सीधे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के खेतों में खड़े अमरीश पुरी की याद दिलाएगी।

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