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कान्हा के स्वागत को सजने लगे घर और मंदिर, बाजरों में दिखी रौनक, जमकर हो रही लड्डू गोपाल के लिए खरीदारी

बिधूना। आजादी के उत्सव के बाद अब कान्हा के जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शुक्रवार को जन्माष्टमी है। दो वर्ष कोरोना के कारण सार्वजनिक उत्सवों का आयोजन नहीं हो सका था, लेकिन इस बार उत्सव को धूमधाम से मनाने की तैयारी है। भक्तों में उत्साह अलग ही नजर आ रहा है। घरों में साज सज्जा शुरू हो गई है। मंदिरों में भी तैयारियां होने लगी है। लड्डूगोपाल के कपड़ों से लेकर उनकी साजसज्जा के लिए हर कोई अपनी तरह से काम करना चाहता है। उन्हें आकर्षक रूप में सजाना चाहते हैं।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, श्रीकृष्ण अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए थे। इस दिन मथुरा, वृंदावन में ही नही अपितु पूरे देश मे बड़े हर्षोल्लास के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन की तरह कृष्ण जन्माष्टमी को तारीख को लेकर भी कन्फ्यूजन रहा।

सजाई जा रहीं झांकियां-कस्बा के मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर व राधा कृष्ण मंदिर समेत सभी कस्बावासी अपने अपने घरों पर भी झांकियां सजाने की तैयारियां कर रहे है। जन्माष्टमी के आयोजन पर घरों में बच्चे कान्हा की तरह सज धज कर उछल कूद करते भी देखे गए है।

आधी रात तक चलेंगे भगवान के भजन और कीर्तन

जन्माष्टमी वाले दिन भक्त गण सुबह व्रत रहते हुए झांकियां सजाकर आस पड़ोस के लोगो के साथ ढोलक की थाप पर भजन कीर्तन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने का इंतजार करते है और जैसे ही जन्म होता है तो पूजा पाठ करके एक दूसरे को प्रसाद खिलाते है।

बाजारों में दिखी रौनक-जन्माष्टमी का पर्व जैसे-जैसे नजदीक आया वैसे बाजारों में भी रौनक दिखी। लोग लड्डू गोपाल के लिए नई-नई पोशाक, मुकुट और बांसुरी के साथ-साथ बाजूबंद भी खरीदते दिखे। इस बार बाजार में लाला की मांग बहुत है और बाल रूप में बैठे लाला की मूर्तियां लोग जम कर खरीद रहे हैं। लड्डू गोपाल को सजाने संवारने के लिए लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं कही कोई कसर न रह जाए।

महिला प्रतिभा सिंह ने बताया कि भगवान के लिए पालना व ज्वैलरी खरीदने आई हूं। दुकानों पर कई विकल्प हैं। ऐसे में अच्छा चुनने का प्रयास कर रही हूं। महिला सीमा त्रिपाठी जन्माष्टमी के लिए लड्डू गोपाल लिए हैं। उनकी पूजा कर विधिवत स्थापित किया जाएगा। उनका बिछौना, पालना व वस्त्र भी खरीदे हैं। महिला संगीता यादव भगवान के वस्त्र खरीदने आई हूं। कई आकर्षक डिजाइन उपलब्ध हैं। लड्डू गोपाल के साज श्रृंगार में कोई कमी नहीं रखूंगी।

दुकानदार बोले-दुकानदार राजू ने बताया कि भगवान के वस्त्र मथुरा तथा वृंदावन से तैयार होकर आते हैं। वहां इन्हें हिंदू व मुस्लिम दोनों बनाते हैं। स्थानीय स्तर पर वस्त्र तैयार करने की शुरुआत की थी, लेकिन यहां उस तरह के कारीगर नहीं मिल सके।

दुकानदार सुमित कुमार ने बताया कि सारा सामान कानपुर से लाते हैं अभी बिक्री कुछ हल्की है मगर कल (शुक्रवार) को बाजार खूब चलेगा, लड्डू गोपाल के श्रृंगार लिए सब सामान उपलब्ध है। हर बार की तरह इस बार भी नई वैरायटी मंगवाने का प्रयास किया है। मंदिरों से भी जो आर्डर मिलते हैं उसके अनुसार ही वस्त्र उपलब्ध कराते हैं।

रिपोर्ट-संदीप राठौर चुनमुन/राहुल तिवारी

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