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‘तहरीर’ संस्था ने मनाई RTI एक्ट की 14वीं वर्षगांठ

लखनऊ। 12 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में लागू हुआ पारदर्शिता का कानून यानि कि सूचना का अधिकार अधिनियम आज 15वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। आरटीआई एक्ट की 14वीं सालगिरह के अवसर पर यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के सदस्यों ने एक सादा समारोह में पारदर्शिता और जबाबदेही की जंग में शहीद हो चुके देश भर के सैकड़ों सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं की निःस्वार्थ वीरता को नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किये और एक्ट के क्रियान्वयन के विभिन्न आयामों पर विस्तृत परिचर्चा की।

तहरीर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इंजीनियर संजय शर्मा ने बताया कि गैर-सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक देश में 100 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है और 500 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता गंभीर उत्पीड़न का शिकार हो चुके हैं। सूचना का अधिकार कानून को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत हथियार बताते हुए संजय ने कहा कि हालांकि यह अधिकार देश के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है लेकिन आम जनमानस की उदासीनता के कारण ही इस कानून के लागू होने के 14 साल भी देश की महज ढाई फीसदी (2.5%) आबादी ही इस कानून का प्रयोग कर पाई है।

बताते चलें कि ‘तहरीर’ नामक संस्था देश भर में पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अग्रणी संस्थाओं में से एक है। कार्यक्रम में बोलते हुए संजय ने कहा कि भारत का आरटीआई कानून लागू होते समय विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर था लेकिन लचर क्रियान्वयन के कारण भारत साल 2016 में विश्व रैंकिंग नीचे गिरकर चौथे स्थान पर आ गया और साल 2018 में 2 पायदान और नीचे गिरकर छठे स्थान पर आ गया है जो चिंताजनक है।

आरटीआई एक्ट का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पाने के लिए आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन के सभी स्टेकहोल्डर्स आम जनता, लोक प्राधिकारी, सूचना आयोग, सरकार आदि को जिम्मेवार बताते हुए संजय ने सभी स्टेकहोल्डर्स से अपनी तयशुदा जिम्मेवारियों को और अधिक ईमानदारी से निभाने की अपील की। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अधिक से अधिक सूचना वेबसाइट्स पर डालने की नीति की सराहना करते हुए संजय ने उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्तों द्वारा देश भर में सर्वाधिक मामलों में आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत जन सूचना अधिकारियों को दण्डित करने के लिए यूपी के सूचना आयुक्तों को सार्वजनिक साधुवाद ज्ञापित किया। संजय ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक्ट लागू होने के बाद के 13 वर्षों में देश भर के सभी सूचना आयोगों ने लगभग 16 हज़ार मामलों में जन सूचना अधिकरियों को दण्डित किया था जिनमें से यूपी के सूचना आयोग ने अकेले ही मात्र 2 ही वर्षों में 1500 के लगभग जन सूचना अधिकरियों पर दंड लगा दिया है जो सराहनीय है।

आरटीआई एक्ट को नागरिकों और सरकारों के बीच पारस्परिक पंहुच के लिए एक पुल जैसा बताते हुए संजय ने निजी स्वार्थ के लिए आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग करने वाले लोगों की भर्त्सना की और सरकार से आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा और संरक्षण देने की नीति के साथ-साथ एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए भी नीति बनाने की मांग की है। संजय ने बताया कि एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संस्था के माध्यम से देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री तथा सभी प्रदेशों के राज्यपाल व मुख्यमंत्रियों को 10 सूत्रीय ज्ञापन भेजा जाएगा ताकि एक्ट विश्व रैंकिंग में फिर से पहले स्थान पर आ सके।

संजय ने बताया कि आज के समागम में निर्णय लिया गया है कि आगामी दिसम्बर माह में संस्था तहरीर पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय सेमिनार और सम्मान समारोह का आयोजन करेगी जिसमें जनसामान्य के लिए आरटीआई एक्ट का प्रयोग करने के लिए देश भर में विख्यात आरटीआई कार्यकर्ता ज्ञानेश पाण्डेय को सम्मानित किया जाएगा।

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