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मालवीय के कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता : ऋषि त्रिवेदी

● हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष की जयंती मनायी गयी

लखनऊ। हिन्दू महासभा के संस्थापक एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत रत्न पण्डित मदन मोहन मालवीय की 160वीं जयन्ती पर अखिल भारत हिन्दू महासभा, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुये कहा कि हिन्दुत्ववादी विचारधारा रखने वाले पण्डित मदन मोहन मालवीय ने जिस तरह से एक कुषल राजनीतिज्ञ और समाजसेवी के रूप में जो कार्य किये है उसे आजीवन भुलाया नहीं जा सकता।

श्री त्रिवेदी ने श्री मालवीय जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुये कहा कि उन्होंने हिन्दी भाशा को ऊंचाईयों पर ले जाने के लिये ऐतिहासिक कार्य करने के साथ-साथ वह किसी भी राष्ट्र के लिए शिक्षा वहां की संस्कृति का मुख्य आधार मानते थे इसीलिए उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय विख्यात शिक्षा केंद्र की स्थापना की, ऐसे महान कार्यों को करने वाले महामाना सच्चे अर्थों में भारत मां के सपूत और कर्मयोगी थे।

श्री त्रिवेदी ने बताया कि सनातन धर्म व हिन्दू संस्कृति की रक्षा और संवर्धन में मालवीयजी का योगदान अनन्य है। जनबल तथा मनोबल में नित्यशरू क्षयशील हिन्दू जाति को विनाश से बचाने के लिये उन्होंने हिन्दू संगठन का शक्तिशाली आन्दोलन चलाया और स्वयं अनुदार सहधर्मियों के तीव्र प्रतिवाद झेलते हुए भी कलकत्ता, काशी, प्रयाग और नासिक में भंगियों को धर्मोपदेश और मन्त्रदीक्षा दी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रनेता मालवीयजी ने, जैसा स्वयं पं0 जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है, अपने नेतृत्वकाल में हिन्दू महासभा को राजनीतिक प्रतिक्रियावादिता से मुक्त रखा और अनेक बार धर्मों के सहअस्तित्व में अपनी आस्था को अभिव्यक्त किया।

प्रयाग के भारती भवन पुस्तकालय, मैकडोनेल यूनिवर्सिटी हिन्दू छात्रालय और मिण्टो पार्क के जन्मदाता, बाढ़, भूकम्प, सांप्रदायिक दंगों व मार्शल ला से त्रस्त दुःखियों के आँसू पोंछने वाले मालवीयजी को ऋषिकुल हरिद्वार, गोरक्षा और आयुर्वेद सम्मेलन तथा सेवा समिति, ब्वॉय स्काउट तथा अन्य कई संस्थाओं को स्थापित अथवा प्रोत्साहित करने का श्रेय प्राप्त हुआ, किन्तु उनका अक्षय-र्कीति-स्तम्भ तो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ही है जिसमें उनकी विशाल बुद्धि, संकल्प, देशप्रेम, क्रियाशक्ति तथा तप और त्याग साक्षात् मूर्तिमान हैं।

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