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दो बच्चों के जन्म में तीन साल का फासला जरूरी

जिला अस्पताल सहित स्वास्थ्य केंद्रों में मनाया गया विश्व गर्भनिरोधक दिवस।
महिलाओं को गर्भनिरोधक के अस्थाई साधनों के बारे में जानकारी दी।

औरैया। जिला अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य इकाइयों में सोमवार को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया गया। सभी केंद्रों पर जन प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया। पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के बीच कम से कम तीन साल के अंतर रखने के लिए प्रेरित किया गया। छोटे परिवार के फायदे बताए गए। परिवार की खुशहाली के लिए महिलाओं को गर्भनिरोधक के अस्थाई साधनों के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से भी रूबरू कराया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि एक बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के जन्म के बीच में कम से कम तीन साल का फासला होना चाहिए। यह जच्चा-बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद होता है। जल्दी-जल्दी मां बनने से कई तरह की दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं और परिवार के आकार बड़े होने से भविष्य में भी कठिनाइयों का सामना करना होता है। उन्होंने बताया की विश्व गर्भनिरोधक दिवस के अवसर पर महिलाओं को अस्थाई गर्भनिरोधक साधनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी ।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ.शिशिर पुरी ने कहा कि जिले की सभी प्रसव इकाइयों में गर्भनिरोधक की सभी अस्थाई विधियां उपलब्ध हैं। इनका लाभ लें। उन्होंने भी छोटे परिवारों को आज की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि अब वह समय नहीं रहा है, जब बड़े परिवार हुआ करते थे। मेडिकल साइंस बहुत आगे निकल चुका है। परिवार को सीमित रखने के समस्त साधन उपलब्ध हैं।

जिला अस्पताल की परिवार नियोजन की काउंसलर ने महिलाओं को अस्थाई साधनों अंतरा इंजेक्शन, छाया टेबलेट, आईयूसीडी, माला एन गोली आदि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। वहीँ मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। इन्हीं जोखिमों से बचाने के लिए हर साल 26 सितम्बर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है । जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया कि विश्व गर्भनिरोधक दिवस के अवसर पर कुल 105 त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन , 217 माला एन और 1750 कंडोम की सेवायें दी गयीं।

मां व बच्चा रहेगा स्वस्थ्य- जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ का कहना है कि परिवार नियोजन का मतलब यह तय करना कि आपके कितने बच्चे हों और कब हों? इसके लिए तमाम उपलब्ध साधनों में से कोई एक साधन चुन सकते हैं। इससे माताएं व बच्चे ज्यादा स्वस्थ रहेंगे। क्योंकि जोखिम पूर्ण गर्भों की रोकथाम हो जाती है। एक या दो बच्चे होने से उन्हें बेहतर शिक्षा शिक्षा मिलती है। गर्भधारण, प्रसव, तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलाएं मौत का शिकार हो जाती हैं। इनमें अनके मौतों को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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