हमारी जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हम घिसे-पिटे या ऐसे सवाल करते हैं जो हमें तो स्वाभाविक लगते हैं, लेकिन पहले से ही परेशान सामने वाले आदमी को व अधिक परेशान कर देते हैं.
ऐसी ही परिस्थितियों में से एक है माइग्रेन, जिसमें आदमी अनचाहे सरदर्द के कारण पहले से ही परेशान होता है व हमारे सवालों की बौछार उसे राहत देने की बजाय कार्य को बिगाड़ ही देती हैं. माइग्रेन एक ऐसा रोग है जिसमें सरदर्द तो गाहे-बगाहे सामने आता ही है, कई बार यह दिन में तारे दिखने की कहावत को भी ठीक कर देता है. ऐसे वक्त में मरीज को बस बिना किसी शोर-शराबे के शांति के अतिरिक्त किसी व बात की तलाश नहीं होती.
Myupchar.com से जुड़े व ऐम्स, दिल्ली के डाक्टर नबी दार्या वली के मुताबिक, “माइग्रेन एक प्रकार का ऐसा सिरदर्द है जिसमें सिर के दोनों या एक ओर रुक-रुक कर भयानक दर्द होता है. यह मूल रूप से न्यूरोलॉजिकल समस्या है. माइग्रेन के समय दिमाग में खून का संचार बढ़ जाता है, जिससे आदमी को तेज सिरदर्द होने लगता है. माइग्रेन की पीड़ा 2 घंटे से लेकर कई दिनों तक बनी रहती है.”
जब किसी आदमी को माइग्रेन का अटैक आता है तो उसकी आवाज लड़खड़ाने लगती है, वह वक्त, संसार का होश गंवा देता है. कई बार दशा इतने बुरे हो जाते हैं कि इम्तिहान देते वक्त आप अपना नाम तक आंसर शीट पर लिखना भूल जाते हैं. बस आपके दिलोदिमाग में एक ही ख्वाहिश होती है कि किसी तरह से इस माइग्रेन अटैक से बाहर निकला जाए.
माइग्रेन का प्रभाव सामाजिक ज़िंदगी पर भी पड़ता है क्योंकि आपको माइग्रेन अटैक के भय से दोस्तों, परिजनों के साथ कहीं बाहर पार्टी के लिए जाने से साफ मना कर देना पड़ता है. आप देर रात तक जाग नहीं सकते व पार्टी की जान कहलाने वाला कान फोड़ने वाला संगीत आप जरा भी एंजॉय नहीं कर सकते. निश्चित तौर पर माइग्रेन के मरीजों की मदद उनके अपने दोस्तों, परिजनों द्वारा ही ज्यादा बेहतर ढंग से की जा सकती है.