12 से 17 वर्ष के युवाओं में धूम्रपान करने की आदतें बढ़ती जा रही हैं। इन युवाओं पर एक-दूसरे को देखकर और अन्य प्रचार माध्यमों का गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर जैसी कई समस्याएं पैदा होती हैं। इन स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति युवा वर्ग को जागरूक करना बेहद जरूरी है जिससे वह इन आदतों का शिकार न बनें और स्वस्थ व खुशहाल समाज का निर्माण कर सकें।
- Published by- @MrAnshulGaurav Written by- ShivPratapSinghSengar
- Tuesday, 08 Febraury, 2022
औरैया। हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाए जाने वाले धूम्रपान निषेध दिवस की इस वर्ष ‘क्विट योर वे’ यानि ‘अपना रास्ता छोड़ो’ थीम रखी गयी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि यह दिवस एक जागरूकता अभियान की तरह है जो धूम्रपान करने वालों को सिगरेट व अन्य किसी तरह के तंबाकू सेवन को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।
मन में ठान लिया जाए तो सिगरेट छोड़ी जा सकती है
उन्होंने कहा कि सिगरेट और अन्य तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने और धूम्रपान करने वालों को इस आदत से छुटकारा दिलाने में उनकी मदद करने के उद्देश्य से हर साल 09 मार्च को ‘धूम्रपान निषेध दिवस’ मनाया जाता है। यह सभी जानते है कि धूम्रपान नुकसानदेह है। यह मनुष्य के शरीर में हजारों रसायनों को छोड़ता है। इसका असर फेफेड़ों के साथ दिल और शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है। उन्होंने बताया कि कई सालों से धूम्रपान करने वालों को नशा छोड़ना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि, यदि मन में ठान लिया जाए तो सिगरेट छोड़ी जा सकती है।
धूम्रपान या चबाने वाली तम्बाकू सबसे बुरी आदतों में से एक
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और एसीएमओ डॉ बीपी शाक्य ने बताया कि धूम्रपान या चबाने वाली तम्बाकू सबसे बुरी आदतों में से एक है। इसे किसी के लिए भी अपनाना आसान है, लेकिन उतना ही ज्यादा स्वास्थ्य का जोखिम है। 12 से 17 वर्ष के युवाओं में धूम्रपान करने की आदतें बढ़ती जा रही हैं। इन युवाओं पर एक-दूसरे को देखकर और अन्य प्रचार माध्यमों का गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे हृदय रोग, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर जैसी कई समस्याएं पैदा होती हैं। इन स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति युवा वर्ग को जागरूक करना बेहद जरूरी है जिससे वह इन आदतों का शिकार न बनें और स्वस्थ व खुशहाल समाज का निर्माण कर सकें।
तम्बाकू के इस्तमाल से प्रतिरोधक क्षमता कम होती है
उन्होंने बताया कि तम्बाकू और बीड़ी-सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक है| तम्बाकू के इस्तमाल से प्रतिरोधक क्षमता कम होती है साथ ही यह फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है| यही नहीं धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है। बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुँआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान करने वालों के आस-पास रहते हैं । यह धुँआ (सेकंड स्मोकिंग) सेहत के लिए और भी खतरनाक होता है ।
सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान रोकने को बना कानून
तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार बताते हैं कि अधिसूचना जीएसआर 417 (ई) दिनांक 30 मई, 2008 के अनुरूप केन्द्र सरकार ने ‘सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान’ से संबंधित नियम संशोधित करके पूर्णत लागू कर दिया। इन संशोधित नियमों के अन्तर्गत सभी सार्वजनिक स्थानों पर सख्ती से निषिद्ध है। ‘सार्वजनिक स्थलों’ में आडिटोरियम, अस्पताल भवन, स्वास्थ्य स्थान, मनोरंजन केन्द्र, रेस्टोरेंट, सार्वजनिक कार्यालय, न्यायालय भवन, शिक्षण संस्थान इत्यादि शामिल किए गए हैं। इस एक्ट के तहत जो भी व्यक्ति उल्लघंन करेगा उस पर 200 रूपये के आर्थिक दण्ड के साथ दंडात्मक कार्यवाही करने का प्रावधान किया गया है।