यूपी में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में इस बार बदले हुए सियासी हालात में मुकाबला सत्तारूढ़ भाजपा व मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच होने के आसार हैं। हालांकि बसपा ने भी अपनी जोरदार तैयारी शुरु की है।
सांसद असद्उद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन व डा.अय्यूब के नेतृत्व वाली पीस पार्टी मुस्लिम वोट बैंक के हथियार के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी सरकार बनाने के बाद अब यूपी के नगर निकाय चुनाव पर पूरी तरह फोकस किया है।
वर्ष 2017 में हुए पिछले नगरीय निकाय चुनाव की बात करें तो तीन प्रमुख राष्ट्रीय दलों में एक भाजपा तो अर्श पर रही थी और दूसरी कांग्रेस फर्श पर आ रही थी। तीसरी बसपा ने कुछ बेहतर प्रदर्शन किया था और नगर निगम महापौर की 16 में से दो सीटें जीती थीं। निर्दलीय प्रत्याशियों का प्रदर्शन भी बहुत बेहतर था। नगर पंचायतों पर तो निर्दलीयों का ही कब्जा रहा था।
कांग्रेस तैयारियों के हिसाब से पीछे दिख रही है। सपा के बढ़ते दलित प्रेम और आगामी 14 अप्रैल को बाबा साहब डा.आंबेडकर की जयंती पर सपा मुखिया अखिलेश यादव के महू भ्रमण तथा भाजपा के बढ़ते ओबीसी प्रेम को इन्हीं चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। लोकसभा की सदस्यता गंवाने को लेकर सुर्खियों में रहे राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस सहानुभूति कार्ड खेलने की तैयारी में है।