- Published by- @MrAnshulGaurav
- Tuesday, July 12, 2022
लखनऊ। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आयोजित आभासीय संगोष्ठी ” शिष्य परंपरा में गुरु तत्व के सम्मान के संदर्भ में” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने कहा कि, – ज्ञान के उदय के कारण ही मानव सभ्यता का विकास हुआ । गुरु की सार्थकता है कि , ज्ञान का समाहित करके प्रसारण करें।
विशिष्ट वक्ता राष्ट्रीय महासचिव , राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना , डॉ.प्रभु चौधरी ने कहा कि- पुस्तक ही देव रूप है। गुरु ऋण चुकाने के लिए साहित्य की, संस्कृति की सेवा और ज्ञान फैलाने का कार्य करना चाहिए। अध्यक्षीय भाषण मे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि,- आज दाएं हाथ में कर्म और बाएं हाथ में विजय के लिए अच्छे गुरु की आवश्यकता है।
नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री, डॉ. हरिसिंह पाल जी ने कहा कि,- गुरु अनेक हो सकते हैं । ग्रंथ, प्रकृति, चर , अचर, पशु , पक्षी, बच्चा , बूढ़ा , कोई भी गुरु हो सकता है।
श्रीमती सुवर्णा जाधव, कार्यकारी अध्यक्ष, ने कहा कि,- व्यास जी के जन्म दिवस पर यह दिवस मनाया जाता है। भारतीय परंपरा में गुरु की कृतज्ञता व्यक्त करते हैं क्योंकि, गुरु हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. रश्मि चौबे, मुख्य महासचिव , महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। सरस्वती वंदना डॉ. संगीता पाल , कच्छ गुजरात ने , अभिनंदन वक्तव्य डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने , आभार व्यक्त डॉ.अनसूइया अग्रवाल, राष्ट्रीय संयोजक, छत्तीसगढ़ ने किया।
सभी ने डॉ. शिवा लोहारिया, महिला इकाई, राष्ट्रीय अध्यक्ष के जन्मदिवस पर उनको बधाई दी। डॉ. दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी, अलका जैन एवं अर्चना लवानियाने भी अपने विचार व्यक्त किए। इन्दौर की मणिबाला शर्मा ने गीत सुनाया ।उज्जैन की सुनीता राठौर ने स्वरचित कविता सुनाई। इस तरह अन्य अनेक गणमान्य संगोष्ठी में उपस्थित रहे।