बुरहा पारा: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को त्रिपुरा के सुदूर बुरहा पारा गांव का दौरा किया, जहां उन्होंने ब्रू आदिवासी समुदाय के लोगों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे ज्यादा खुश हूं। प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी भी इस बात से खुश हैं कि हम चालीस साल बाद आपका पुनर्वास कर सके।’
शाह ने कहा, केंद्र और त्रिपुरा सरकार मिलकर ब्रू परिवारों के पुनर्वास की पूरी कोशिश कर रही है, ताकि वे अपने घरों में सम्मान के साथ रह सकें। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें देखकर अपार खुशी हो रही है कि मोदी सरकार ने त्रिपुरा में सभी विस्थापित ब्रू आदिवासियों का पुनर्वास कर दिया है।
आजीविका से होगा जीवन स्तर में सुधार
गृह मंत्री ने गांववासियों से कहा, हमने आपके लिए 25 तरह की आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए हैं। इनमें पशुपालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन और बाजरा खैती जैसी गतिविधियां शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन कार्यक्रमों से आदिवासी समुदाय को नए अवसर मिलेंगे और उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
दो दिनों के भीतर बनेगा आयुष्मान कार्ड
उन्होंने गांव के विभिन्न घरों का भी दौरा किया और लोगों से उनके हालात व सरकार से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली। एक स्थान पर कुछ निवासियों ने उन्हें बताया कि उन्हें अभी तक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिले हैं। इस पर गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि सभी दो दिनों के भीतर कार्ड मिल जाएंगे। उन्होंने जिला अधिकारी को इस काम को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया।
ब्रू विस्थापन का इतिहास
1997, 1998 और 2009 में मिजोरम में ब्रू और मिजो समुदायों के बीच हिंसा के कारण मिजोरम के ममित, लुंगलेई और कोलासीब जिलों से ब्रू जनजाति के लोग त्रिपुरा के उत्तरी जिले में शरण लेने के लिए आए थे। वे बीते कई वर्षों से अस्थायी शिविरों में रह रहे थे।
पुनर्वास समझौता और योजनाएं
ब्रू आदिवासियों के स्थायी पुनर्वास के लिए 16 जनवरी 2020 को एक महत्वपूर्ण चार-पक्षीय समझौता हुआ था। इस समझौते में केंद्र सरकार, त्रिपुरा सरकार, मिजोरम सरकार और ब्रू संगठन शामिल थे। इसके बाद 12 स्थानों को त्रिपुरा के उत्तर त्रिपुरा, ढलाई, गोमती और दक्षिण त्रिपुरा जिलों में पुनर्वास कॉलोनियों के लिए चिह्नित किया गया था। इनमें से नौ स्थान वन भूमि पर और तीन स्थानी सरकार भूमि पर स्थित हैं। कुल 754 एकड़ भूमि इन परिवारों के पुनर्वास के लिए उपलब्ध कराई गई है और समझौते के तहत 6,935 परिवारों का पुनर्वास किया जाना है, जिनकी कुल आबादी 37,584 है।