भारत ने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से कर्ज तक लोगों की पहुंच को आसान बनाया है। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) व इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) प्रोफेसरों की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक विशेष रूप से वंचित उधारकर्ताओं के लिए यह खासा उपयोगी साबित हुआ है। 2016 में शुरू होने के बाद से यूपीआई ने लाखों लोगों के लिए डिजिटल लेनदेन की सुविधा उपलब्ध कराई है।
14 दिसंबर से पहले ऐसे अपडेट करवा लें आधार कार्ड, वरना हो सकती हैं दिक्कतें
को-ओपन बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट्स एप्लीकेशन फॉर क्रेडिट एक्सेस के अध्ययन के मुताबिक कोई क्रेडिट इतिहास नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं को भी ऋण सुविधा में मदद की है। 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ व्यापारी निर्बाध डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम हो गए हैं। यूपीआई लेनदेन में 10 फीसदी की वृद्धि से ऋण उपलब्धता में 7 फीसदी वृद्धि हुई।
यह दर्शाता है कि कैसे डिजिटल फाइनेंस ने ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में सक्षम बनाया। रिपोर्ट के मुताबिक अक्तूबर 2023 तक भारत में सभी खुदरा डिजिटल भुगतानों में 75 फीसदी यूपीआई के माध्यम से हो रहे हैं। नए ऋण लेने वालों को दिए गए ऋण में 4 फीसदी की वृद्धि हुई।
कर्ज देने वाली फिनटेक कंपनियों का भी आकार बढ़ा
रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई का लाभ उठाते हुए कर्ज देने वाली फिनटेक कंपनियों ने तेजी से अपना आकार बढ़ाया। इनकी ऋण की मात्रा में 77 गुना वृद्धि हुई। यह पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे है। अध्ययन में कहा गया है कि डिजिटल प्रौद्योगिकी की सामर्थ्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से यूपीआई को व्यापक रूप से अपनाया जा सका।