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पेगासस: 2019 में पहली बार आया था जासूसी कांड, अब सरकारी एजेंसियों को बेचे जाने के मुद्दे पर शुरू हुई सियासत

मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर Pegasus स्पाईवेयर यूज करके पत्रकरों, एक्टिविस्ट और कई लोगों पर नजर रख रही है। इस खुलासे के बाद विपक्ष केंद्र पर लगातार हमलावर हैं।

विपक्ष ने इस मसले पर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि जब पेगासस सॉफ्टवेयर को लेकर घमासान छिड़ा है। दरअसल, 2019 के दौरान भी पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी की बात सामने आई थी। उस वक्त कांग्रेस के दिग्गज नेता आनंद शर्मा और जयराम नरेश पेगासस पर सवालात को लेकर भिड़ गए थे।

राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ”लोगों के बीच भय का माहौल है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।” एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के खुफिया जासूसी साफ्टवेयर और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों। यह रिपोर्ट रविवार को सामने आई है।

2019 में क्या हुआ था? बता दें कि 2019 के दौरान भी व्हाट्सएप के जरिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किए जाने की खबरें सुर्खियों में थी। उस वक्त कहा गया था कि सरकार ने इस्राइल से हैकिंग सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा और उससे करीब 100 नामचीन लोगों की जासूसी की गई।

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