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गर्भ निरोधक के इस्तेमाल से प्रजनन दर में आएगी कमी – अपर निदेशक 

• दो बच्चों के बीच अंतर रखने में कारगार साबित हो रहे अस्थायी गर्भनिरोधक साधन

• कानपुर मंडल में गर्भनिरोधक अंतराल विधियों को अपनाने में दंपतियों ने दिखाई रुचि

कानपुर नगर। शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की योजना बनायी जाए और दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखा जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने बहुत कारगर और सुरक्षित साधनों से युक्त बास्केट ऑफ़ च्वॉइस मुहैया करा रखी है। बास्केट ऑफ़ च्वॉइस में मौजूद नौ साधनों में उपलब्ध गर्भनिरोधक अस्थायी साधन बहुत ही कारगार साबित हो रहें हैं।
गर्भ निरोधक के इस्तेमाल से प्रजनन दर में आएगी कमी - अपर निदेशक 
कानपुर मंडल के सभी छह जिलों में सीमित परिवार को लेकर दंपति परिवार नियोजन के सुरक्षित उपाय बेहतर तरीके से अपना रहें हैं। इसी वजह से साल-दर-साल परिवार नियोजन की प्रगति का ग्राफ बढ़ रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफ एचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार परिवार नियोजन के किसी भी आधुनिक साधन को अपनाने में कन्नौज में 40.1, इटावा में 24.5, कानपुर नगर में 17.9, फर्रुखाबाद में 17.1, कानपुर देहात में 16.9 और औरैया में 2.6 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लोगों में यौन जागरूकता बढ़ाने, अनियोजित गर्भधारण तथा यौनजनित रोगों (एसटीडी) से बचाव के बारे में जागरूकता लाने और युवाओं को सही उम्र में प्रजनन का निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए 26 सितंबर को दुनिया भर में विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है- ‘विकल्प की शक्ति’।
डॉ अंजू दुबे, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण का कहना है कि गर्भनिरोधक साधनों को अपनाकर जहां महिला के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है, वहीं मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। साथ ही परिवार नियोजन से जहां एक ओर गर्भनिरोधक साधनों से कुल प्रजनन दर में कमी आएगी, वहीं खुशहाल परिवार बनेगा। उनका कहना है की मंडल के सभी जिलों में स्वास्थ्य इकाइयों पर विवाह के दो साल बाद ही बच्चे की योजना बनाने और दो बच्चों के जन्म के बीच तीन साल का सुरक्षित अंतर रखने का संदेश देते हुए परिवार नियोजन के अस्थायी साधन जैसे कंडोम, माला एन, छाया व ईसी पिल्स एवं अन्य गर्भनिरोधक गोली मुहैया कराई जा रही हैं।
परिवार नियोजन का महत्व
राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण  परियोजना एजेंसी (सिफ्प्सा) के मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक राजन प्रसाद परिवार नियोजन का महत्व बताते हुये कहते हैं कि परिवार नियोजन का मतलब यह तय करना है कि आपके कितने बच्चे हों और कब हों? इसके लिए तमाम उपलब्ध साधनों में से कोई एक साधन चुन सकते हैं। इससे माताएं व बच्चे ज्यादा स्वस्थ रहते है वही जोखिम पूर्ण गर्भ की भी रोकथाम होती है। वह बताते है कि गर्भधारण, प्रसव, तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलाएं और शिशु मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। इनमें अनेक मृत्यु को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है।
गर्भनिरोधक अपनाने पर मिलती है प्रोत्साहन राशि
मंडलीय एफपीएलएमआईएस प्रबंधक अर्जुन प्रजापति बताते है कि गर्भ निरोधक साधनों को अपनाने में प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जिसमें अंतराल महिला नसबंदी पर 2000 रुपये, प्रसव पश्चात नसबंदी पर 3000 रुपये, पुरुष नसबंदी पर 3000 हजार रुपये, प्रसव बाद पोस्टपार्टम इंट्रायूट्रीन कंट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआइयूसीडी) लगवाने पर तीन सौ रुपये और अंतरा इंजेक्शन लगवाने पर सौ रुपये दिए जाते हैं।
रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर

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