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पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से समान नागरिक संहिता की खुलकर वकालत किए जाने के बाद देश भर में इसे लेकर चर्चा गर्म है। इस बीच भाजपा की उत्तराखंड सरकार एक कदम और आगे बढ़ते हुए समान नागरिक संहिता को राज्य में लागू कर सकती है।

समान नागरिक संहिता का मुद्दा भाजपा की स्थापना के दौर से ही उसका कोर एजेंडा रहा है। तब से अब तक हुए सभी चुनावों में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में इस मुद्द को रखा है। माना जा रहा है कि भाजपा सरकार अब अपने वैचारिक आधार को मजबूत करने के लिए इस पर आगे बढ़ना चाहती है।

उसे लगता है कि इस मामले से ध्रुवीकरण तेज होगा और इसका फायदा उसे ही होगा। इसके अलावा यदि कांग्रेस समेत तमाम सेक्युलर कही जाने वाली पार्टियां इस मामले में एकजुट होकर कांग्रेस पर हमला बोलती हैं तो फिर भाजपा उन्हें तुष्टिकरण की राजनीति करने वाला बताकर हमला करेगी। इससे उसे फायदे की उम्मीद है।

पिछले साल दोबारा चुनकर आई भाजपा सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया था। यह समिति अगले दो से तीन सप्ताह के अंदर अपनी सिफारिशें दे सकती है। इसके बाद राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा। यहां इसे लेकर कैसा रिएक्शन देखने को मिलता है। यह देखने के बाद मोदी सरकार इसे देश भर में लागू करने की तैयारी कर सकती है।

 

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