रिलायंस फ़ाउंडेशन का ‘वनतारा’-जानवरों के बचाव, संरक्षण और पुनर्वास का देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम
जामनगर। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और रिलायंस फ़ाउंडेशन ने जानवरों को समर्पित एक व्यापक, नए कार्यक्रम की घोषणा की है जिसका नाम है- ‘वनतारा’ (जंगलों का सितारा)। भारत में हो या वैश्विक स्तर पर, वनतारा के अंतर्गत जानवरों को बचाना, उपचार कर उनका ख़्याल रखना और उनका पुनर्वास सब किया जाएगा। बचाव और पुनरकी ज़रूरत दुर्व्यवहार का शिकार या घायल जानवर होती है,या फिर ऐसे जानवरों को जिनके जानवरों के अस्तित्व को ख़तरा हो। वनतारा ऐसे जानवरों को बचाने के लिए काम कर रहा है।
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रिलायंस के जामनगर रिफ़ाइनरी कॉम्प्लेक्स की ग्रीन बेल्ट में वनतारा (Vantara) के लिए 3,000 एकड़ की जगह दी गई है। जानवरों के जाने-माने विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार इस 3,000 एकड़ के इलाक़े को जानवरों के प्राकृतिक आवास, हरे-भरे जंगल की तरह विकसित किया गया है।
वनतारा, जानवरों को समर्पित अपनी तरह का देश का पहला कार्यक्रम है। इसके प्रणेता हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और रिलायंस फ़ाउंडेशन के बोर्ड में डायरेक्टर श्री अनंत अंबानी। अनंत अंबानी जामनगर में रिलायंस के अक्षय ऊर्जा व्यवसाय का भी नेतृत्व कर रहे हैं जिसके दम पर कंपनी वर्ष 2035 तक नेट कार्बन ज़ीरो कंपनी बनने पर काम कर रही है।
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वनतारा, जानवरों के संरक्षण और उनका ख़्याल रखने के लिए अत्याधुनिक अस्पताल, शोध और शैक्षणिक संस्थानों को बनाने का काम करेगा। वनतारा शोध के काम को और आगे बढ़ाएगा और साथ ही दुनिया के जाने-माने संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा जिनमें इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर नेचर (IUCN) और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ़ फ़ंड (WWF) शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में वनतारा की बदौलत 200 हाथियों सहित हज़ारों जानवरों को बचाया गया है जिनमें सरिसृप और पक्षी भी शामिल हैं। गेंडे, चीते और मगरमच्छ सहित कई प्रजातियों का पुनर्वास भी किया गया है। हाल में वनतारा ने मेक्सिको और वेनेज़ुएला सहित कुछ देशों से जानवरों के पुनर्वास के लिए काम किया है। ये काम करते समय देश और विदेश के क़ानूनों का पूरी तरह ख़्याल रखा गया है।
वनतारा के बारे में अनंत अंबानी कहते हैं, बहुत छोटी उम्र से ये मेरा सपना था लेकिन अब वनतारा मेरे जीवन का एक मिशन बन गया है। इसमें हमारी एक ज़बर्दस्त टीम पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुड़ी हुई है। हमारा सबसे ज़्यादा ध्यान देश की सर्वाधिक संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने पर लगा है।
हम ये भी चाहते हैं कि हम प्राकृतिक आवासों को इन जानवरों के लिए बचा सकें और उन सब समस्याओं का निराकरण करें जिनके चलते इन प्रजातियों के विलुप्त होने का ख़तरा है। इस काम में वनतारा की भूमिका एहम है और मुझे खुशी है कि हमारे कार्यक्रमों को देश में ही नहीं विदेशों में भी सराहा जा रहा है। हमारे मिशन में देश-विदेश के जानवरों और चिकित्सा मामलों के कई विशेषज्ञ शामिल हैं। हमें खुशी रहे कि इस काम में हमें कई सरकारी संगठनों, शोध और शैक्षणिक संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है।
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वनतारा केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और अन्य सरकारी संगठनों के साथ पार्टनरशिप में काम करता है जिनकी कोशिश रहती है कि कैसे देश के 150 से ज़्यादा चिड़ियाघरों में और जानवर लाए जा सकें, उनका ख़्याल रखने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण मिले और इसके लिए समुचित ढांचा और सुदृढ़ किया जाए।
वनतारा के पीछे अपनी सोच के बारे में श्री अंबानी ने कहा, सदियों से हम ‘करुणा’ की भावना हमारी संस्कृति का अंग रही है; इस भावना के साथ हम आधुनिक विज्ञान, तकनीक और प्रोफ़ेशनल नज़रिए को जोड़ रहे हैं। जीव सेवा, भगवान की सेवा है और इंसानियत का तकाज़ा भी।
हाथियों का केंद्र
वनतारा में हाथियों के लिए एक सेंटर बनाया गया है. साथ ही शेर, बाघ, चीते और मगरमच्छ जैसे बड़े और छोटे जानवरों के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है।
वनतारा के अंतर्गत 3,000 एकड़ में हाथियों के लिए शेल्टर बनाए गए हैं। हाथी जिनमें शरण ले सकें ऐसे, रात के लिए अलग और दिन के लिए अलग प्रकार के स्थान बनाए गए हैं। हाथियों के नहाने के लिए जगह-जगह जलाशय हैं और जिन हाथियों को आर्थराइटिस की बीमारी है उनके लिए तो बाक़ायदा जैकूज़ी भी बनाई गई है। 200 हाथियों का ख़्याल रखने के लिए 500 से ज़्यादा प्रशिक्षित कर्मचारी हैं जिनमें कई विशेषज्ञ शामिल हैं।
हाथियों के सेंटर में 25,000 वर्ग फ़ीट में फ़ैला एक अस्पताल है जो दुनिया के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है। यहाँ चलती-फिरती एक्स-रे मशीन, लेज़र मशीन सहित कई प्रकार के उपचारों में काम आनेवाले अत्याधुनिक उपकरण हैं। फ़ार्मेसी, हाथियों की चिकित्सा में काम आने वाली हाइड्रोलिक पुली और क्रेन, हाइड्रोलिक सर्जिकल टेबल और हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चेंबर भी है।
अस्पताल में हाथियों के मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है। इतना ही नहीं – दुनिया में पहली बार वनतारा के अंतर्गत हाथियों के लिए ‘एंडोस्कोपी गाइडेड सर्जरी’ करने की सुविधा भी मुहैया कराई गई है जिससे हर प्रकार की सर्जरी की जा सकती है। बीमार या घायल हाथियों के लिए कई बार खान-पान के विशेष इंतज़ाम करने की आवश्कता होती है। इसके लिए 14,000 स्क्वेयर फ़ीट का एक अलग सेंटर बनाया गया है।
हाथियों के लिए आयुर्वेदिक इलाज की सुविधाएँ भी हैं। हाथियों की गर्म तेल से मसाज की जाती है, मुल्तानी मिट्टी से उपचार किए जाते हैं। चौबीसों घंटे हाथियों को आयुर्वेदिक इलाज के लिए पूरी व्यवस्था की गई है।
बचाव एवं पुनर्वास केंद्र
वनतारा में ऐसे जंगली जानवरों की भी मदद की जाती है जिन्हें सर्कस से लाया गया है या जो जानवर खचाखच भरे चिड़ियाघरों से लाए गए हैं। इनके लिए 3,000 एकड़ में फैले विशाल परिसर के अंदर ही 650 एकड़ में एक बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। इस केंद्र में भारत और दुनिया भर से संकटग्रस्त जानवरों को बचाया जाता है और एक अत्याधुनिक बाड़े और आश्रय स्थल में रखा जाता है।
बचाव और पुनर्वास केंद्र में 2100 से अधिक कर्मचारी हैं। इन्होंने पूरे भारत से लगभग 200 तेंदुओं को बचाया है, जो सड़क दुर्घटनाओं या संघर्षों में घायल हुए हैं। केंद्र ने तमिलनाडु में अत्यधिक भीड़भाड़ वाले एक चिड़ियाघर से 1,000 से अधिक मगरमच्छों को बचाया है। इसने अफ़्रीका में शिकार घरों, स्लोवाकिया में इच्छामृत्यु के ख़तरे में पड़े जानवरों और मेक्सिको में विभिन्न जगहों पर गंभीर रूप से तनावग्रस्त जानवरों को बचाया है।
केंद्र में 1 लाख वर्ग फुट का अस्पताल और मेडिकल रिसर्च सेंटर है। अस्पताल और मेडिकल रिसर्च सेंटर के पास आईसीयू, एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, डेंटल स्केलर, लिथोट्रिप्सी, डायलिसिस, ओआर1 तकनीक के साथ सबसे एडवांस तकनीक है जो सर्जरी और रक्त प्लाज्मा सेपरेटर के लिए लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस को सक्षम बनाती है।
43 प्रजातियों के 2000 से अधिक जानवर बचाव एवं पुनर्वास केंद्र की देखरेख में हैं। भारतीय और विदेशी जानवरों की लगभग 7 लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए केंद्र ने संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया ह। इन प्रजातियों को बचाने के लिए इन्हें अपने मूल आवासों में फिर से बसाया जाता है। अब तक वंतारा इकोसिस्टम ने 200 से अधिक हाथियों, 300 से अधिक बड़ी बिल्लियों जैसे तेंदुए, बाघ, शेर, जगुआर आदि, 300 से अधिक शाकाहारी जानवरों जैसे हिरण और 1200 से अधिक सरीसृप जैसे मगरमच्छ, सांपों, कछुओं को एक नया जीवन दिया है।
बचाव और विनिमय में अनुपालन
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और मान्यता चिड़ियाघर नियम, 2009 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्यों के चीफ़, वाइल्डलाइफ़ वार्डन्स और सेंट्रल जू अथॉरिटी की पूर्व-मंज़ूरी प्राप्त करने के बाद सभी बचाए गए जानवरों को वंतारा में लाया गया है। सभी एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी के अनुमोदन पर आगे बढ़ाए जाते हैं।
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वंतारा ने भारत और विदेशों में अन्य संस्थानों के आदान-प्रदान संदेशों पर काम करते हुए कई जानवरों को बचाया है। ऐसे जानवरों को सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विदेश व्यापार महानिदेशालय, पशुपालन और डेयरी विभाग और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद लाया गया है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
वेनेज़ुएला नेशनल फ़ाउंडेशन ऑफ़ ज़ूज़ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करने और स्मिथसोनियन और वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम जैसे दुनिया भर के प्रतिष्ठित संगठनों के साथ जुड़कर वंतारा कार्यक्रम को काफी फ़ायदा हुआ है। भारत में, यह नेशनल ज़ूलॉजिकल पार्क, असम स्टेट ज़ू, नागालैंड ज़ूलॉजकिल पार्क, सरदार पटेल ज़ूलॉजिकल पार्क जैसे कई संगठनों के साथ सहयोग करता है।
शिक्षा और जागरूकता
आम लोगों, विशेषकर युवाओं और बच्चों के बीच संरक्षण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, वंतारा में ज्ञान और संसाधन के आदान-प्रदान सहित शैक्षणिक संस्थानों के साथ घनिष्ठ सहयोग की परिकल्पना की गई है। इसमें करुणा और देखभाल में नए मानक स्थापित करने वाले आधुनिक और भविष्य के, जलवायु नियंत्रित बाड़ों में कुछ जानवरों के लिए एक प्रदर्शन क्षेत्र के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है।
हरियाली से भरपूर क्षेत्र
जानवरों का बचाव और संरक्षण, प्रकृति के रख-रखाव के साथ चलना चाहिए। वंतारा कार्यक्रम में रिलायंस रिफ़ाइनरी क्षेत्रों के निरंतर हरा-भरा रखने की भी परिकल्पना की गई है और पहले से ही हज़ारों एकड़ भूमि को वनाच्छादित किया गया है।