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उपराष्ट्रपति की यूपी यात्रा

@डॉ दिलीप अग्निहोत्री भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था। उसने यह प्रतिष्ठा अपने ज्ञान,विज्ञान व शिक्षण संस्थान के माध्यम से प्राप्त की थी। तब भारत परम वैभव के पद पर आसीन था। उसके प्रताप व शौर्य को दुनिया स्वीकार करती थी। लेकिन भारत ने अपने मान्यताओं के प्रसार के लिए शक्ति शौर्य का प्रयोग नहीं किया।

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बल्कि वसुधा को कुटुंब मानते हुए सभी के कल्याण का विचार दिया। ऐसी महान विरासत पर गर्व होना चाहिए। जो पीढ़ी अपने अतीत पर स्वाभिमान नहीं करती, उससे प्रेरणा नहीं लेती,वह पिछड़ जाती है।

उपराष्ट्रपति की यूपी यात्रा

राष्ट्रीय स्वाभिमान से प्रेरित होकर आगे बढ़ना चाहिए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गोरखपुर और चित्रकूट यात्रा के दौरान संस्कृति और शौर्य का संदेश दिया। उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के फर्टिलाइजर कैम्पस में उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल का लोकार्पण किया।

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इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षा की लौ, जिस मंदिर, देश व प्रदेश में जलेगी, वहां अपनी रोशनी से कुरीतियों को दूर कर समाज को प्रकाशमय बनायेगी। वर्तमान परिदृश्य में वैचारिक दृढ़ता, मूल चिंतन प्रतिबद्धता तथा राष्ट्र भावना के प्रसार की अत्यंत आवश्यकता है।

यह तीनों ही गुण देश के ओजस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में है। जो गत दशक से देश को एक ऐसे रास्ते पर ले जा रहे हैं, जिससे पूरी दुनिया हतप्रभ है। दुनिया में भारत की आज अलग पहचान है। देश में विकास की गंगा बह रही है।

उपराष्ट्रपति की यूपी यात्रा

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सैनिक स्कूल जीवन के कर्तव्यों का बोध कराने में सहायक सिद्ध होगा। सैनिक संस्थान से निकले छात्र-छात्राएं भविष्य में राष्ट्र का निर्माण करेंगे एवं विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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यह महायोगी गुरु गोरक्षनाथ की पावन साधना स्थली है। यह गीता प्रेस के माध्यम से देश-दुनिया में सनातन हिन्दू धर्म साहित्य के प्रचार-प्रसार का महत्वपूर्ण केन्द्र है। देश की आजादी के प्रथम स्वातंत्र्य समर के दौरान शहीद बन्धु सिंह के नेतृत्व में अनेक क्रान्तिकारियों ने विदेशी हुकूमत की जड़ों को हिलाने का काम किया था।

उपराष्ट्रपति की यूपी यात्रा

भारत के ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से गोरखपुर की पावन भूमि प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। इसके बाद उपराष्ट्रपति चित्रकूट पहुंचे थे। वह जगतगुरु राम भद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय की संगोष्ठी में सहभागी हुए। यहां उन्होंने संगोष्ठी के विषय भारतीय ऋषि परंपरा पर विचार व्यक्त किए।

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