नई दिल्ली। गर्मियां शुरू होने के साथ ही देश में जल संकट गहराना शुरू हो गया है। देश भर के जलाशय भंडारण में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष इस अवधि के दौरान भंडारण क्षमता 35 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत हो गई है। सीडब्ल्यूसी 150 जलाशयों में जल भंडारण की निगरानी करती है और साप्ताहिक बुलेटिन जारी करती है। आयोग ने बताया कि दक्षिण भारत सबसे अधिक इससे प्रभावित है।
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दक्षिणी प्रदेशों का हाल बेहाल
आयोग दक्षिण भारत (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु) के कुल 24 जलाशयों की निगरानी करता है। सीडब्ल्यूसी बुलेटिन के अनुसार 42 जलाशयों में उपलब्ध कुल भंडारण 8.353 बीसीएम या 53.334 बिलियन क्यूबिक मीटर की कुल क्षमता का 16 प्रतिशत है।
2023 की इस अवधि के दौरान इन जलाशयों का भंडारण कुल क्षमता का 28 प्रतिशत था, जबकि इसी अवधि के दौरान पिछले दस वर्षों का औसत भंडारण 22 प्रतिशत था। 150 जलाशयों में कुल भंडारण 50.432 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जो उनकी संयुक्त भंडारण क्षमता का मात्र 28 प्रतिशत है।
जानें, उत्तर और पूर्वी क्षेत्रों की स्थिति
इसके अलावा, उत्तरी क्षेत्र में (हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान सहित अन्य) के जलाशयों में उपलब्ध भंडारण 6.051 बीसीएम दर्ज किया गया है। जो कुल क्षमता का मात्र 31% है। पिछले साल इस अवधि के दौरान भंडारण 37 प्रतिशत था। वहीं, असम, झारखंड और ओडिशा सहित अन्य राज्यों वाले पूर्वी क्षेत्र में 7.45 बीसीएम के भंडारण की कुल क्षमता का 36 प्रतिशत है। पिछले साल की इस अवधि के दौरान आकंड़ा 33 प्रतिशत है।
पिछली बुलेटिन के अनुसार, जानें पश्चिमी क्षेत्रों का हाल
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं और वहां भंडारण स्तर 11.771 बीसीएम है जो 49 निगरानी जलाशयों की कुल क्षमता का 31.7 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष के भंडारण स्तर (38 प्रतिशत) और दस साल के औसत (32.1 प्रतिशत) की तुलना में कम है। इसी तरह, उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में भी जल भंडारण स्तर में गिरावट देखी गई है।