हम 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। यह 2.5 से 03 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष के अतिरिक्त कार्बन सिंक को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान देगा। पीएम मोदी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में ‘‘मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे” के बारे में एक उच्च स्तरीय संवाद को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया।
पीएम ने कहा, “हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ ग्रह छोड़ना हमारा पवित्र कर्तव्य है।”
पीएम मोदी ने मरुस्थलीकरण से निपटने में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सभी पक्षों के 14वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भूमि क्षरण ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया और यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा। पीएम मोदी ने भूमि क्षरण के मुद्दे से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को उजागर करने का बीड़ा उठाया है। 2019 की दिल्ली घोषणापत्र में भूमि पर बेहतर पहुंच और प्रबंधन का आह्वान किया गया और लिंग-संवेदनशील परिवर्तनकारी परियोजनाओं पर जोर दिया गया। भारत में, पिछले 10 वर्षों में, लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया है। इससे संयुक्त वन क्षेत्र देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक-चौथाई हो गया है, प्रधान मंत्री ने बताया।
पीएम मोदी ने गुजरात के कच्छ के रण में बन्नी क्षेत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भूमि की बहाली से मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य, भूमि की उत्पादकता में वृद्धि, खाद्य सुरक्षा और बेहतर आजीविका का एक अच्छा चक्र शुरू हो सकता है। बन्नी क्षेत्र में, घास के मैदानों को विकसित करके भूमि की बहाली की गई, जिससे भूमि क्षरण तटस्थता प्राप्त करने में मदद मिली। यह पशुपालन को बढ़ावा देकर देहाती गतिविधियों और आजीविका का भी समर्थन करता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उसी भावना में, हमें स्वदेशी तकनीकों को बढ़ावा देते हुए भूमि बहाली के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
पीएम मोदी ने कहा कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग की भावना से, भारत साथी विकासशील देशों को भूमि बहाली रणनीति विकसित करने में सहायता कर रहा है। भूमि क्षरण के मुद्दों के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि मानव गतिविधि के कारण भूमि को हुए नुकसान को उलटना मानव जाति की सामूहिक जिम्मेदारी है।हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ ग्रह छोड़ना हमारा पवित्र कर्तव्य है।