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क्या होता है जेली बेली कैंसर, डॉक्टर से जानिए इसके लक्षण और बचाव

चिकित्सा के क्षेत्र ने काफी प्रगति कर ली है, लेकिन आज भी कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिसमें जरा सी भी देरी मरीज से की जान चली जाती है. कैंसर में कई अलग-अलग तरह के मामले देखने में आते हैं और इन्हीं में एक दुर्लभ कैंसर का नाम है जेली बेली.

कई देशों में इस कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. मेडिकल की भाषा में जेली बेली कैंसर को स्यूडो माइक्सोमा पेरिटोनी कहा जाता है. दरअसल कैंसर में पेल्विक एरिया में जेली बन जाती है. ये कैंसर बढ़ते-बढ़ते आंतों तक पहुंच सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक, वैसे तो इस कैंसर के मामले काफी कम देखने को मिलते हैं लेकिन इसके लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी होता है.

जेली बेली अपेंडिक्स (छोटी सी थैली जो बड़ी आंत के ओपन एरिया से जुड़ी होती है) की अंदरूनी परत पर एक गांठ के रूप में शुरू होता है और धीरे-धीरे बढ़ता रहता है. इससे कैंसर से कई और अंग भी प्रभावित होने लगते हैं और पेट संबंधित कई समस्याएं होने लगती हैं. डॉक्टर से जानते हैं जेली बेली कैंसर के लक्षण और बचाव.

क्या कहते हैं डॉक्टर

कैंसर सर्जन अनुराग कुमार के मुताबिक, जेली बेली कैंसर पूरी शरीर में नहीं फैलता है बल्कि ये ये पेट के आस-पास के ऑर्गन तक ही सीमित रहता है. जेली बेली अपेंडिक्स से शुरू होकर धीरे-धीरे मरीज की आंतों और पेल्विक के हिस्से में फैलने लगता है. इसकी पहचान करना भी बेहद मुश्किल होता है, हालांकि जब ट्यूमर बढ़ने लगता है तो भूख के पैटर्न में बदलाव समेत कई लक्षण नजर आने लगते हैं. जिस पर वक्त रहते ध्यान देना चाहिए.

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

डॉक्टर बताते हैं कि जेली बेली कैंसर में मरीज को पेट में सूजन, पेट दर्द, सांस लेने में समस्या, पेट भरा-भरा और फूला हुआ लगा जैसी दिक्कत होने लगती है. अगर इस तरह के लक्षण लगातार बने रहें तो अनदेखा नहीं करना चाहिए. ताकि वक्त रहते सही इलाज किया जा सके.

बचाव और क्या है ट्रीटमेंट

जेली बेली कैंसर के ट्रीटमेंट की बात करें तो मेडिकेशन के अलावा कई तरह की थेरेपी या फिर सर्जरी भी की जा सकती है. वहीं इससे बचाव के लिए पेट से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. साथ ही इसके खतरे को कम करने के लिए सही खानपान और डेली रूटीन में एक्सरसाइज, वॉक जैसी हेल्दी आदतें अपनानी चाहिए.

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