ककुवा बोले– देखि लेव परभु कय लीला। जेठ मा बरीखा रही अउ आषाढ़ तपि रहा हय। यहि तिना जौ रही तौ धान कय फसल बर्बाद होय जाई। नहर अउ नलकूप ते धान कब पइदा भवा? धान तौ दयू क बरसे होत हय। मुला, जलवायु परिवर्तन होयक कारन बरीखा मनमानी होय गवै। जब जरूरत होत हय, तब बरसत नाइ। जब जरूरत नाइ होत हय, तब खूब बरसत हय। कयू साल ते जब फसल तैयार होय जात हय, तब पानी-पाथर गिर जात हय। बेमौसम बारिखा अउ ओला परै ते किसानन का बड़ा घाटा होत हय।
आज चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर केवल बन्डी (बनियान) पहने बैठे थे। उनके हाथ में बेना (पंखा) था। वह गर्मी से बेहाल थे। सुबह ही कड़ी धूप थी। हवा बिल्कुल ठप्प थी। चबूतरे के आसपास लगे सभी पेड़ पत्थर जैसे खड़े थे। ककुवा, मुन्शीजी, कासिम चचा व बड़के दद्दा भी भीषण गर्मी व उमस से परेशान थे। चबूतरे पर बारिश न होने और भीषण गर्मी पर चर्चा चल रही थी। ककुवा तो आज अधनंगे थे। हमेशा की तरह नीचे धोती पहने थे। पर, ऊपर केवल गीला गमछा ओढ़े थे। वह धान की फसल को लेकर बड़े चिंतित थे। उनका कहना था कि अगर आषाढ़ सूखा रहा तो धान की फसल चौपट हो जाएगी।
इस पर चतुरी चाचा ने कहा- ककुवा भाई, निराश न हो। मानसून आ गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है। कई राज्यों में तो नदियां उफान पर हैं। वहां बाढ़ की स्थिति बनी है। यहाँ भी जल्दी बारिश होगी। बहरहाल, भगवान के सहारे खेती करना ठीक नहीं है। खेती से अगर कुछ पाना है, तो उन्नत खेती करनी होगी। आज के दौर में सिंचाई का अपना साधन होना चाहिए। साथ ही, कृषि यंत्र भी अपने होने चाहिए। बाजार की मांग को देखते हुए नकदी फसलें बोनी चाहिए। इसके अलावा हर फसल की जुताई-बुवाई भी समय से करनी चाहिए। तभी खेती फायदे में होगी।
हमने कहा- खेती को लेकर सबसे बड़ा संकट जोत का छोटे होते जाना है। एक तरफ आबादी बढ़ती ही जा रही है। दूसरी तरफ खेती का क्षेत्रफल कम होता जा रहा है। पूरे देश में शहरों/कस्बों के आसपास खेती खत्म होती जा रही है। जहां कभी फसलें लहलहाती थीं। वहां अब कालोनियां बन गईं। हरियाली की जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हैं।
मुन्शीजी ने चतुरी चाचा की बात पर मोहर लगाते हुए कहा- चाचा आपकी बात सोलह आने सच्ची है। खेती का क्षेत्रफल तेजी से घट रहा है। दूसरी बात किसानों की जोत भी छोटी हो रही है। खेती लगातार बंटवारे का दंश झेल रही है। कभी जिस घर में 40 बीघे की एकमुश्त खेती थी। आज उस घर में दो-दो बीघे खेती भाइयों के हिस्से में है। ऐसे में कौन सिंचाई का साधन लगाए। कौन कृषि यंत्र खरीदे। बस, जैसे-तैसे किराए के साधनों से खेती कर रहे। भगवान भरोसे खेती करना उनकी मजबूरी है। सच पूछिए, इस दौर में सामूहिक खेती होनी चाहिए। छोटी जोत वाले किसानों को आपस में मिलकर खेती करना चाहिए। तभी उन्नत खेती के लिए सारे साधन जुटा सकेंगे। इससे खेती लाभप्रद हो सकेगी।
बड़के दद्दा विषय परिवर्तन करते हुए बोले- केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से देने की कवायद शुरू कर दी है। इससे पाकिस्तान बौखला गया है। आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। पाकिस्तान भारतीय सीमा पर ड्रोन से हमले कर रहा है। भारत में अशान्ति फैलने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। वहीं, कश्मीर घाटी के पाक परस्त कई राजनीतिज्ञ पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। हालांकि, हमारी फौज आतंक के सर्वनाश के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है। शनिवार को पुलवामा में पांच आतंकी मारे गए। इधर, यूपी के कोराना में दो आतंकी पकड़े गए। ये लोग दरभंगा बम ब्लास्ट में शामिल थे। मुझे एक बात आजतक नहीं समझ आई कि भारत के कुछ मुसलमान अपने देश से गद्दारी क्यों करते हैं? वह खाते भारत की हैं और बजाते पाकिस्तान की हैं।
कासिम चचा ने प्रतिरोध करते हुए कहा- बड़के, आतंक को मुसलमान से जोड़ना गलत है। सारे मुसलमान न आतंकी हैं और न सारे आतंकवादी मुसलमान हैं। आतंकवाद व नक्सलवाद में देश का दिग्भ्रमित युवा शामिल हैं। इसमें हर जाति-धर्म के लोग हैं। इन सबको राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है। देश के अमन के लिए सभी युवाओं को रोजगार देना होगा। बेरोजगार युवा राष्ट्रद्रोही ताकतों के निशाने पर रहता है। आतंकवाद और नक्सलवाद की फैक्ट्री चलाने वाले देश के बेरोजगार युवाओं को बहला-फुसला कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। सरकार को चाहिए कि भटके युवाओं और सरकारी तंत्र से असंतुष्ट लोगों से संपर्क/संवाद निरन्तर कायम रखे। तभी देश में अमन स्थापित रहेगा।
इसी बीच चंदू बिटिया पके देसी आम, कटहल व बड़हल की टोकरी लेकर आ गई। पका कटहल देखते ही कासिम चाचा चहक पड़े। चतुरी चाचा ने कहा- आज चाय की जगह आप सबकी पसन्द के फल हैं। कासिम भाई को पका कटहल और ककुवा भाई को पके बड़हल बहुत पसन्द है। वहीं, बाकी लोगों को पके देसी आम भाते हैं। इसलिए मैंने कल शाम पुरई को पाही वाली बगिया भेजा था। अब सब जने पेट भरकर खा लो। फिर प्रपंच करो। हम सब ने अपनी पसन्द के स्वादिष्ट फल खाए।
ककुवा ने प्रपंच पुनः शुरू करते हुए कहा- का हो रिपोर्टर! उत्तराखंड मा भाजपा रोजय मुख्यमंत्री बदल रही। काल्हि टीवी मा द्याखा तीरथ रावत छह महीनम इस्तीफा दै दिहिन। वहिके पहिले त्रिवेंद्र रावत हटाये गए रहयँ। चारि साल मा तीसर मुख्यमंत्री बनाय रहे। राजनीति मा बड़ी कटाजुझझ है। आजु यूपी मा जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाय रहे। पच्छतर मा बाइस निर्विरोध होयगे रहयं। अब 53 सीटन पय चुनाव हय। यहिमा तौ सत्ता अउ धन-बल केरा खेला होत हय।
चतुरी चाचा ने प्रपंच को समाप्त करते हुए कहा- अब रिपोर्टर कोरोना का अपडेट दें। फिर सब जने काली मंदिर चलकर पौधरोपण करेंगे। प्रधान वहां पौधे लेकर बैठे हैं। यूपी सरकार एक से सात जुलाई के मध्य वन महोत्सव सप्ताह मना रही है। सरकार ने 30 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। हम सब लोग भी इसमें अपना योगदान करें। हमने सबको कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि इस समय कोरोना नियंत्रण में है। कोरोना संक्रमण और मौतें काफी कम हो गईं, किंतु नए मरीजों का आना अभी जारी है। भारत में कोरोना वैक्सीन बड़ी तेजी से लगाई जा रही है। अबतक 35 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका मुफ्त लगाया जा चुका है। विश्व में अबतक करीब 19 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें करीब 40 लाख लोगों को बचाया नहीं जा सका।
इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 50 लाख से अधिक लोग कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। स्कूल छोड़कर सब खुल रहा है। अब लोगों को मॉस्क और दो गज की दूरी का कड़ाई से पालन करना होगा। वरना, कोरोना की तीसरी लहर आ जाएगी।
इसी के साथ आज का प्रपंच खत्म हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!