नई दिल्ली। विश्वविद्यालय के प्रो बीके शर्मा घर जा रहे थे और रास्ते में फोन आया। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के कस्टम विभाग से फोन आने की सूचना के साथ कस्टमर केयर की तरह एग्जीक्यूटिव से बात करने के लिए 2 दबाने की सूचना मिली। थोड़ी देर बाद फोन पुलिसिया अंदाज में इंडोनेशिया भेजे गए पार्सल की जानकारी ली जाने लगी। इस पर प्रो. शर्मा घबरा गए, गाडी सड़क के किनारे लगाई और घबराहट में जवाब देने लगे। इसके बाद प्रो. शर्मा ने कोई भी पार्सल न भेजने की बात कही तो तत्काल आईजीआई आने के लिए कहा गया।
प्रो. शर्मा बात कर रहे थे कि अचानक उन्हें इल्म हुआ कि वो डिजिटल क्राइम के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि सरकार का विभाग इस तरह से फोन नहीं करता। फिर क्या था, उन्होंने साहस बटोर कर कड़क अंदाज में फोन करने वाले को हड़काना शुरू कर दिया। इस तरीके से प्रो. शर्मा एक बड़ी धोखाधड़ी से बच गए। लेकिन राजेश चौधरी को डिजिटल अपराधियों ने 30 हजारी कोर्ट ने निकले अरेस्ट वारंट की जानकारी देकर 1.75 लाख रुपये निकाल लिए। राजेश चौधरी ने पुलिस के पास इसकी शिकायत भी कर दी है, लेकिन पूरा मामला ढाक के तीन पात जैसा चल रहा है।
- एआई की मदद से कस्टमर केयर की तरह फंसाते हैं गैंग
- हर साल 15 लाख से अधिक हो रहे हैं साइबर अपराध के दर्ज मामले
- डिजिटल अरेस्ट के चक्रव्यूह में अच्छे-अच्छे हो रहे हैं लूट का शिकार
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हर साल दर्ज हो रहे हैं 15 लाख से अधिक मामले
देश में साइबर ठगों के हौसले काफी बुलंद हैं। पंजाब में ओसवाल के पद्म विभूषण से सम्मानित ओसवाल के प्रबंध निदेशक का प्रकरण तो काफी चर्चित मामला है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट की फर्जी सुनवाई के सहारे अपराधियों ने उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाया और 7.40 करोड़ रुपये उगाह लिए।
पिछले साल कवि नरेश सक्सेना को भी डिजिटल अरेस्ट करके अपराधियों ने घंटों उनकी कविताएं सुनी। आगरा की एक महिला को साइबर अपराधियों की ठगी के आगे जान गंवानी पड़ी। इसमें साइबर ठगों ने फोन करके महिला की बेटी के होटल में किसी के साथ पकड़े जाने की सूचना देकर गिरफ्तारी, बदनामी का डर पैदा कर दिया था।